पाकिस्तान में इमरान खान को हटाने के लिए अब वहां की दो सबसे कट्टर दुश्मन पार्टियां, यानी नवाज शरीफ की पार्टी और बेनजीर भुट्टो की पार्टी एक साथ आ गई हैं और मिलकर सरकार बनाने के लिए भी तैयार हो गई हैं. भारत में जिस तरह मोदी को हराने के लिए अखिलेश यादव और मायावती एक साथ आ गए थे और जिस तरह कांग्रेस और शिवसेना ने महाराष्ट्र में हाथ मिला लिया था. अब वही पाकिस्तान की राजनीति में भी हो रहा है.
पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ये पूरी तरह से स्पष्ट है कि अब वहां विपक्षी पार्टियां मिलकर गठबंधन की सरकार बना सकती हैं और इस सरकार में दो पार्टियां प्रमुख होंगी. एक है Pakistan Peoples Party, जिसके अध्यक्ष बिलावल भुट्टो हैं. वहीं दूसरी है, Pakistan Muslim League नवाज, जिसके अध्यक्ष पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के छोटे भाई शहबाज शरीफ हैं. यानी एक भुट्टो की पार्टी है और दूसरी नवाज शरीफ की पार्टी है. अब समझने वाली बात ये है कि वर्ष 1988 से 2018 के बीच यानी 3 दशकों तक ये दोनों पार्टियां एक दूसरे की कट्टर विरोधी मानी जाती थीं. लेकिन आज ये इमरान खान को हटाने के लिए साथ आ गई हैं.
पाकिस्तान की राजनीति में सेना हमेशा से मजबूत रही है. जनरल मोहम्मद जिया उल हक वर्ष 1978 से 1988 के बीच पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे और इस दौरान पाकिस्तान में लोकतंत्र पूरी तरह समाप्त हो गया था. हालांकि वर्ष 1988 में जब जनरल जिया-उल-हक की एक विमान दुर्घटना में मौत हो गई, तब पाकिस्तान की राजनीति पूरी तरह बदल गई और उनकी मृत्यु के बाद बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनीं और उनके खिलाफ विपक्ष में नवाज शरीफ सबसे बड़े नेता के रूप में मौजूद थे. ये उसी दौर की बात है, जब नवाज शरीफ और भुट्टो परिवार के बीच पाकिस्तान की सत्ता के लिए संघर्ष हुआ. इन दोनों ही नेताओं की पार्टियां, पाकिस्तान की सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टियां बन गईं.
इस दौरान पाकिस्तान में जब भी चुनाव होते थे तो मुकाबला भुट्टो और नवाज शरीफ की पार्टी के बीच ही होता था. इन दोनों पार्टियों को पाकिस्तान की सेना के अलावा कभी कोई चुनौती नहीं दे पाया. वर्ष 1988 से 2018 के बीच बेनजीर भुट्टो की Pakistan Peoples Party लगभग 10 वर्षों तक सत्ता में रही. जबकि इसी समय अवधि में 10 साल और 4 महीने तक नवाज शरीफ की पार्टी का शासन रहा. जब नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री होते थे, तब बेनजीर भुट्टो की पार्टी विपक्ष में होती थी और जब बेनजीर भुट्टो प्रधानमंत्री होती थीं, तब नवाज शरीफ विपक्ष का नेतृत्व करते थे. यानी पाकिस्तान की सत्ता और वहां की राजनीति इन्हीं दोनों पार्टियों के इर्द गिर्द सिमटी हुई थी.
हालांकि पाकिस्तान की राजनीति में सबसे बड़ा Turning Point वर्ष 2018 में आया, जब इमरान खान की पार्टी वहां के आम चुनाव में विजयी हुई और नवाज शरीफ और भुट्टो की पार्टी को विपक्ष में बैठना पड़ा. आप कह सकते हैं कि इन दोनों पार्टियों के बीच आज जो गठबंधन हो रहा है, उसका सबसे बड़ा कारण इमरान खान ही हैं.
वर्ष 1947 में भारत के विभाजन के बाद जब पाकिस्तान अस्तित्व में आया, तब वहां भी लोकतंत्र को स्थापित करने की कोशिशें हुईं. लेकिन पाकिस्तान में लोकतंत्र कभी भी अपनी जड़ें नहीं जमा पाया. वर्ष 1947 से आज तक पाकिस्तान का कोई भी प्रधानमंत्री पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है.