अल-कायदा प्रमुख अल-जवाहिरी का खात्मा आतंक को गहरा धक्का जरूर है लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में एक बार फिर पाकिस्तान का विश्वासघात उजागर हुआ है. एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जवाहिरी के बारे में हर एक जानकारी पाकिस्तान ने अमेरिका को बेची है. पाकिस्तान ने जवाहिरी को भरोसे में लेकर उसकी लोकेशन अमेरिका को सौंपी. यह भी कहा जा रहा है कि जवाहिरी की हत्या में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का आतंकवादी प्रॉक्सी हक्कानी नेटवर्क शामिल है. रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि हक्कानी नेटवर्क अल-कायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी के आंदोलनों और काबुल में उसके प्रवास में शामिल था.
कुख्यात आतंकवादी और 9/11 का प्रमुख साजिशकर्ता अयमान अल-जवाहिरी 31 जुलाई को काबुल में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया था. जवाहारी के खात्मे में पाकिस्तानी संलिप्तता की संभावना ने निश्चित रूप से कई भौंहें उठाई हैं क्योंकि न तो अमेरिका और न ही पाकिस्तान ने अब तक सार्वजनिक रूप से इस तरह की भूमिका को स्वीकार किया है.
हाल ही में यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज (EFSAS) ने जवाहिरी के अफगानिस्तान के तालिबान के अधिग्रहण तक पाकिस्तान में रहने की सूचना दी थी. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के हवाले से थिंक टैंक ने दावा किया कि जवाहिरी कई सालों से पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में छिपा था और यह स्पष्ट नहीं है कि वह अफगानिस्तान क्यों लौटा. अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद माना जा रहा है कि जवाहिरी का परिवार काबुल में सुरक्षित घर लौट आया.
शीर्ष खुफिया सूत्रों के हवाले से कई रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया कि जवाहिरी को कराची में पनाह दी जा रही थी. हक्कानी नेटवर्क द्वारा चमन सीमा के माध्यम से तालिबान के अधिग्रहण के तुरंत बाद उसे काबुल स्थानांतरित कर दिया गया था. आईएसआई और हक्कानी के बीच मजबूत संबंध बहुत स्पष्ट थे जब आईएसआई के तत्कालीन प्रमुख फैज हमीद ने तालिबान के अधिग्रहण के बाद कई मौकों पर खुले तौर पर काबुल का दौरा किया था. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के प्रमुख आगामी तालिबान सरकार में हक्कानी नेटवर्क के लिए प्रमुख मंत्रालयों को लाने की पैरवी कर रहे थे.
अमेरिकन इंटरप्राइज इंस्टीट्यूट (एईआई) के एक वरिष्ठ फेलो माइकल रुबिन ने कहा कि वह आश्वस्त हैं कि जवाहिरी की हत्या में पाकिस्तान की भूमिका थी. उन्होंने कहा कि 'पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था खतरे में है और देश के पतन का खतरा है. इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान ने अमेरिका के साथ जवाहिरी को मिटाने की डील की.