अब तक आपने देखा होगा कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर जब भी किसी बड़े संगठन की बैठक होती है तो उसमें पूरी दुनिया की नजर अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देशों के सर्वोच्च नेताओं पर होती है और यहां इन देशों का ही एजेंडा चलता है. चीन और रूस के राष्ट्रपति से जुड़ी खबरें अंतरराष्ट्रीय मीडिया का हिस्सा होती थीं, लेकिन अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दिखने वाली ये तस्वीरें बदल गई हैं और खबरों को देखने व समझने का नजरिया बदल गया है.
अब हिंदुस्तान पर होती है पूरी दुनिया की नजर
अब दुनिया के हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर हिंदुस्तान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) पर ही पूरी दुनिया की नजर होती है. पीएम मोदी से बातचीत करने के लिए और हाथ मिलाने के लिए अमेरिका से लेकर ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आतुर रहते हैं. भारत जो एजेंडा और लक्ष्य दुनिया के लिए तय करता है उसपर पूरी दुनिया मुहर लगाती है. उसपर दुनिया के देश एकमत होते हैं. विकसित हो या विकासशील देश आज सभी भारत को एक उम्मीद की नजर से देखते हैं और ऐसा ही कुछ जी-20 की बैठक में हुआ.
पीएम मोदी की वजह से हिंदुस्तान को मिला ये रुतबा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई. बाली में G-20 की दिनभर की बैठक के बाद डिनर का आयोजन किया गया था. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी और जिनपिंग एक दूसरे के आमने-सामने आए. फिर दोनों नेताओं ने हाथ मिलाया और थोड़ी देर बातचीत की. हालांकि, ये पूरी मुलाकात अनौपचारिक थी. भारत और चीन के बीच अभी तक किसी द्विपक्षीय वार्ता का कार्यक्रम तय नहीं है.
जब जो बाइडेन खुद पीएम मोदी से मिलने पहुंचे
इंडोनेशिया के बाली में G20 बैठक के पहले सेशन में जी-20 नेताओं के बीच फूड एंड एनर्जी सिक्योरिटी पर चर्चा हुई. बैठक के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन खुद मोदी से मिलने पहुंचे. दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी, बाइडेन को नहीं देख पाए थे. वो दूसरी तरफ जा रहे थे. इसी दौरान बाइडेन ने उन्हें पुकारा और फिर दोनों हंसते हुए गले लगे. इस अनौपचारिक मुलाकात और बॉडी लैंग्वेज को आपको देखना चाहिए.
एक दोस्त की तरह हुई बाइडेन-मोदी की मुलाकात
सामान्य तौर पर ऐसे किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर हर मुलाकात पहले से तय होता है. 1-1 मिनट की तैयारी की जाती है. कब-किससे मिलना है. किन मुद्दों पर चर्चा करनी है. बैठक में कौन-कौन शामिल होगा. सबकुछ पहले से तय होता है और इसमें सख्त प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है, लेकिन जो बाइडेन की पीएम मोदी से मुलासात किसी प्रोटोकॉल का हिस्सा था ही नहीं, बल्कि बाइडेन और मोदी की मुलाकात एक दोस्त की तरह हुई.
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले भी बाइडेन और प्रधानमंत्री मोदी की ऐसे ही बेहद इनफॉर्मल तरीके से मुलाकात होती रही है. यहां गौर करने वाली बात ये हैं कि बाइडेन से पहले अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप थे और उस दौरान भी प्रधानमंत्री मोदी की ट्रंप से केमेस्ट्री की पूरी दुनिया में चर्चा होती थी. जी-20 की बैठक के पहले सेशन में बाइडेन और प्रधानमंत्री मोदी एक साथ बैठे थे.
बाइडेन ही नहीं मैक्रों ने भी गर्मजोशी से की मुलाकात
दुनिया के मंच पर प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता कितनी ज्यादा है. इसके लिए आपको एक और वीडियो देखना चाहिए, जिसमें बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी खड़े और बगल में बाइडेन बात कर रहे थे. उसी दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों वहां से गुजरते हैं, प्रधानमंत्री मोदी को देखते हैं और उनके पीठ पर थपकी करते हैं. फिर दोनों नेता गर्मजोशी से मिलते हैं.
पीएम ऋषि सुनक से पीएम मोदी की पहली मुलाकात
जी-20 के मंच पर ब्रिटेन के भारतीय मूल के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात पर दुनिया भर की मीडिया की नजर थी. प्रधानमंत्री बनने के बाद ऋषि सुनक और प्रधानमंत्री मोदी की ये पहली मुलाकात थी, लेकिन दोनों के मुलाकात की तस्वीरों को देखकर ऐसा नहीं लगता है कि ये पहली मुलाकात थी.
कैसे पीएम मोदी के नेतृत्व को स्वीकर रही पूरी दुनिया
आपने देखा कि जी-20 के मंच पर प्रधानमंत्री मोदी सबसे चहेते अंतरराष्ट्रीय नेता हैं, लेकिन अब आपको बताते हैं कि आज कैसे पूरी दुनिया प्रधानमंत्री मोदी को सुनती और उनके नेतृत्व को स्वीकार कर रही है. प्रधानमंत्री मोदी ने फूड एंड एनर्जी सिक्योरिटी पर हो रहे बैठक में हिस्सा लिया. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी के बगल में राष्ट्रपति बाइडेन बैठे थे. इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने सीधे तौर पर संयुक्त राष्ट्र और रूस की गलतियों पर सवाल उठाए. पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना और इसके बाद यूक्रेन संकट से पूरी दुनिया में तबाही आई है और संयुक्त राष्ट्र भी इन मुद्दों पर कुछ नहीं कर पाया. प्रधानमंत्री मोदी ने फिर से रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने की बात कही.
पीएम मोदी की करिश्माई नेतृत्व का ही कमाल है कि आज रूस हो या अमेरिका दोनों देश भारत की दोस्ती चाहते हैं. भारत अगर युद्ध के मोर्चे पर रूस की आलोचना करता है और उसके बावजूद भारत को रूस सस्ते में कच्चा तेल देता है तो ये भारत की बढ़ती ताकत का सबूत है. अमेरिका के विरोध के बावजूद रूस के साथ भारत हथियारों के लिए करार करता है फिर भी अमेरिका, भारत के साथ अपनी दोस्ती को मजबूत करना चाहता है तो ये दुनिया में बदलते वर्ल्ड ऑर्डर में भारत की भूमिका को दिखाता है.
जी-20 में दिखा भारत के प्रभाव का असर
प्रधानमंत्री मोदी लगातार कहते रहे हैं कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं और रूस-यूक्रेन युद्ध को तुरंत रोका जाना चाहिए. इस वर्ष जून में जर्मनी में G-7 की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने युद्ध को रोकने की अपील की थी और अब G-20 की बैठक में इसका असर देखने को मिला. पश्चिमी देश युद्ध को भड़का रहे है, रूस युद्ध रोकने को तैयार नहीं है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी लगातार इस युद्ध को रोकने की रूस से भी अपील कर रहे हैं. दुनिया के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय संगठन के मंच पर प्रधानमंत्री मोदी की अपील का असर देखने को मिला.
जी-20 में युद्ध रोकने के लिए ड्राफ्ट पर सहमति बनी है. इस ड्राफ्ट में युद्ध को शांतिपूर्ण तरीके से खत्म करने की बात कही गई है. ड्राफ्ट में कहा गया है कि मौजूदा समय युद्ध का नहीं है. ड्राफ्ट में परमाणु हथियार की धमकी की भी आलोचना की गई है. युद्ध के दौरान रूस कई बार परमाणु हमले की धमकी दे चुका है. ड्राफ्ट में लिखा गया है कि युद्ध की वजह से दुनिया भर में विकास पर असर हो रहा है, महंगाई बढ़ रही है, सप्लाई चेन टूट चुका है, एनर्जी की कीमत बढ़ रही है और अनाज की कमी हो गई है. ऐसे में युद्ध को रोकना बेहद जरुरी है. जी-20 के मंच पर प्रधानमंत्री मोदी की लगातार पहल के बाद ऐसा डॉफ्ट बनना हिंदुस्तान के बढ़ते रुतबे को ही दिखाता है.
पूरी दुनिया के लिए एक उम्मीद की तरह भारत
आज हिंदुस्तान पूरी दुनिया के लिए एक उम्मीद की तरह है. जब पूरी दुनिया आर्थिक संकट से गुजर रही है, अगले वर्ष दुनिया में ग्रोथ का इंजन धीमा होने की आशंका है. ऐसे में भारत एक ध्रुवतारा की तरह है, क्योंकि आज भारत में सबसे तेज आर्थिक ग्रोथ होने की संभावना है. आज भारत आतंकवाद, युद्ध जैसे मानवता के दुश्मनों के खिलाफ मजबूती से खड़ा है और इसका विरोध कर रहा है. इसलिए पूरी दुनिया अब भारत के नेतृत्व को स्वीकार कर रही है उसपर भरोसा जता रही है.