पाकिस्तान (Pakistan) इस वक्त गंभीर आर्थिक संकट (Economic Crisis) से जूझ रहा है. उसकी इकोनॉमी डिफॉल्ट की तरफ बढ़ रही है. अब उसका पक्का दोस्त चीन (China) भी उसको नहीं बचा सकता है. अब तो लोग पाकिस्तान की आर्थिक रूप से बर्बादी के लिए चीन को दोष दे रहे हैं. कहा जा रहा है कि चीन के पाकिस्तान में CPEC प्रोजेक्ट की वजह से उसकी लुटिया डूबी है. अगर सीपीईसी नहीं होता तो शायद पाकिस्तान की माली हालत इतनी ज्यादा खराब नहीं होती. चीन का ये प्रोजेक्ट पाकिस्तान में बुरी तरह फेल हो गया. सीपीईसी पर अरबों डॉलर खर्च हो चुके हैं और इसके बावजूद पाकिस्तान बड़ा कर्जदार बन गया है. इसका कोई अच्छा नतीजा नहीं निकला है. भारत ने भी इसको लेकर पाकिस्तान को चेतावनी दी थी, लेकिन पाकिस्तान नहीं माना और अब बर्बादी की कगार पर खड़ा है.
पाकिस्तान का सपना चकनाचूर!
बता दें कि सीपीईसी, चीन के महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) प्रोजेक्ट का फ्लैगशिप प्रोजक्ट है. जिस वक्त पाकिस्तान में सीपीईसी की शुरुआत चीन ने की थी तब उसने वहां के लोगों को बड़े-बड़े सपने दिखाए थे. यहां तक कहा गया था कि ग्वादर, दुबई बन जाएगा. पाकिस्तान का निर्यात कई गुना तक बढ़ जाएगा. इतनी कमाई होगी कि पाकिस्तान का सब कर्ज उतर जाएगा. नौकरियों की भरमार होगी, लेकिन हुआ बिल्कुल इसका उलटा. पाकिस्तान इस वक्त गंभीर आर्थिक संकट से घिरा हुआ है.
लोन चुकाने के लिए लोन तलाश रहा पाकिस्तान
जान लें कि साल 2013 में पाकिस्तान में सीपीईसी की शुरुआत हुई थी. इस प्रोजेक्ट पर अब तक 62 अरब डॉलर खर्च हो चुके हैं. पाकिस्तान को चीन का 30 अरब डॉलर कर्ज चुकाना है. वहीं, उसका टोटल कर्ज 126 अरब डॉलर है. पाकिस्तान पर आईएमएफ, एशियन डेवलपमेंट बैंक और विश्व बैंक का भी कर्ज है. पाकिस्तान की हालत ये हो गई है कि वह अपने पुराने कर्ज को चुकाने के लिए नए लोन तलाश रहा है.
भारत ने दी थी नसीहत
गौरतलब है कि चीन ने भारत को भी अपने बीआरआई प्रोजेक्ट में शामिल होने के लिए कहा था, लेकिन भारत ने साफ मना कर दिया था. उस वक्त भारत ने पाकिस्तान समेत बाकी देशों को भी चीन की चाल के बारे में चेताया था और अब ऐसा ही हो रहा है. चीन, श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे देशों को अपने कर्ज के जाल में फंसा चुका है.