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लंका में जासूसी जहाज के बाद पाकिस्तान के जरिये ये है चीन की मंशा
Mega Daily News August 18, 2022 01:37 AM IST

एशिया में हमेशा प्रभुत्व बढ़ाने की फिराक में रहने वाला चीन की अब नई खुराफाती चाल सामने आई है. श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर जासूसी जहाज डॉक करने के बाद अब चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में हितों की सुरक्षा करने की प्लानिंग में है. अफगानिस्तान और पाकिस्तान के जरिये चीन समूचे एशिया में अपनी ताकत बढ़ाना चाहता है. शीर्ष राजनयिक सूत्रों ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताया कि चीन इन दोनों देशों में अपनी सेना भेजने वाला है. 

अब क्या होगा चीन का अगला कदम?

अपनी बेहद महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल के हिस्से के रूप में संघर्ष-ग्रस्त पाकिस्तान-अफगानिस्तान क्षेत्र में महत्वपूर्ण निवेश करने के बाद, चीन विशेष रूप से बनाई गई चौकियों में अपने सुरक्षाबलों को तैनात करके दोनों देशों में अपने हितों की रक्षा करने की योजना बना रहा है. चीन, पाकिस्तान-अफगानिस्तान मार्ग के माध्यम से मध्य एशिया में अपने प्रभाव का विस्तार करने का इच्छुक है और उसने दोनों देशों में रणनीतिक निवेश किया है.

पाकिस्तान के जरिये ये है चीन की मंशा

भारत द्वारा व्यक्त की गई जासूसी चिंताओं के बावजूद बीते मंगलवार सुबह श्रीलंका ने अपने हंबनटोटा बंदरगाह पर सैटेलाइट और मिसाइलों को ट्रैक करने की क्षमता रखने वाले चीनी जहाज को आने की अनुमति दी. पाकिस्तान में चीनी निवेश लगभग 60 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है. पाकिस्तान न केवल वित्तीय बल्कि सैन्य और राजनयिक समर्थन के लिए भी चीन पर निर्भर है. अपने पक्ष में शक्ति के भारी असंतुलन को देखते हुए, चीन ने पाकिस्तान पर उन चौकियों के निर्माण की अनुमति देने के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया है जहां वह अपने सशस्त्र कर्मियों को तैनात करेगा.

अफगानिस्तान में भी प्रभाव बढ़ाना चाहता है चीन?

तालिबान शासित अफगानिस्तान अभी भी कई मामलों में चीन और पाकिस्तान दोनों की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाया है.चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अफगानिस्तान और पाकिस्तान में सैन्य चौकियों को स्थापित करने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रही है. राजनयिक सूत्र के अनुसार, चीनी राजदूत नोंग रोंग ने इस संबंध में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो और सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के साथ बैठकें की हैं.

चीन पहले ही रख चुका है ये मांग

सूत्र ने बताया कि चीनी राजदूत लगातार चीनी परियोजनाओं की सुरक्षा और अपने नागरिकों की सुरक्षा पर जोर देते रहे हैं. चीन पहले ही ग्वादर में सुरक्षा चौकियों की मांग कर चुका है, साथ ही अपने लड़ाकू विमानों के लिए ग्वादर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के इस्तेमाल की भी मांग की है.

तालिबान से मिली पाक-चीन को निराशा

अफगानिस्तान में चीन और पाकिस्तान दोनों की अपनी-अपनी चिंताएं हैं. तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तान और चीन दोनों ही इस देश से निर्विवाद सहयोग की उम्मीद कर रहे थे. हालांकि, यह पूरी तरह से अमल में नहीं आ सका है. पाकिस्तानियों की सबसे प्रमुख मांगों में से एक यह थी कि वे भारतीयों को अफगानिस्तान से बाहर रखना चाहते थे. लेकिन अभी तक तालिबान ने ऐसा नहीं किया. बल्कि, तालिबान भारत के साथ संबंधों सहित एक स्वतंत्र विदेश नीति के लिए उत्सुक रहा है. तालिबान के रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब ने भी भारत में सैन्य प्रशिक्षण का सुझाव दिया है.

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