Breaking News
Cooking Oil Price Reduce : मूंगफली तेल हुआ सस्ता, सोया तेल की कीमतों मे आई 20-25 रुपये तक की भारी गिरावट PM Kisan Yojana : सरकार किसानों के खाते में भेज रही 15 लाख रुपये, फटाफट आप भी उठाएं लाभ Youtube से पैसे कमाने हुए मुश्किल : Youtuber बनने की सोच रहे हैं तो अभी जान लें ये काम की बात वरना बाद में पड़ सकता है पछताना गूगल का बड़ा एक्शन, हटाए 1.2 करोड़ अकाउंट, फर्जी विज्ञापन दिखाने वाले इन लोगो पर गिरी गाज Business Ideas : फूलों का बिजनेस कर गरीब किसान कमा सकते है लाखों रुपए, जानें तरीका
Saturday, 27 July 2024

States

शहरी हिस्से में गरीबों के लिए बेरोजगारी सबसे बड़ा संकट, कोरोना महामारी में 76% के पास नहीं था काम

20 April 2022 01:43 PM Mega Daily News
सर्वे,नौकरी,दौरान,दिल्ली,बताया,कोरोना,हिस्सा,व्यवसाय,लोगों,उन्हें,सालों,लॉकडाउन,पड़ा,लोकनीतिसीएसडीएस,कार्यरत,unemployment,biggest,crisis,poor,urban,area,76,work,corona,epidemic

पिछले 2 सालों से देश में कोरोना काल चल रहा है और इस दौरान बीच में कई बार लॉकडाउन भी लगाया गया। कोरोना और लॉकडाउन के कारण लाखों की संख्या में लोग बेरोजगार हुए और उनको रोजी-रोटी की संकट का सामना करना पड़ा। दिल्ली की झुग्गी-झोपड़ियों वाले इलाकों में लोकनीति-सीएसडीएस ने कोरोना के दौरान बेरोजगारी को लेकर एक सर्वे किया जिसमें कुछ चौंकाने वाली जानकारी सामने आई।

लोकनीति-सीएसडीएस के अध्ययन में हिस्सा लेने वालों में पता चला कि 60% लोग कहीं न कहीं कार्यरत हैं। इसमें 33% किसी न किसी तरह की नौकरी में लगे हुए थे और 27% छोटे व्यवसाय चला रहे हैं। करीब 17% या तो किसी काम में नहीं लगे थे या नौकरी की तलाश में थे। 19% महिलाओं ने बताया कि वे एक गृहिणी थीं और 4% अपनी पढ़ाई कर रही थीं। 41% महिलाएं आर्थिक रूप से अपने परिवार का सहयोग कर रही थीं, जिनमें से 22% नौकरी कर रही थीं और 19% ने एक छोटा व्यवसाय खोला रखा था। पुरुषों में 77% से अधिक कार्यरत थे जिनमें से 43% नौकरी कर रहे थे और 34% एक छोटा व्यवसाय चलाते थे।

सर्वे में हिस्सा लेने वाले एक-चौथाई करीब 76% ने बताया कि कोरोना के दौरान उनकी नौकरी चली गई जबकि 24% लोगों ने किसी दूसरे काम को शुरू करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी। सर्वे में 63% लोगों ने बताया कि कोरोना के दौरान उन्हें जीवन यापन करने के लिए किसी अन्य से पैसे उधार लेने पड़े।

सर्वे में 15% ने बताया कि महामारी के दौरान उन्हें अपने गाँव लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा और 7% को अपना घर खाली करना पड़ा। घरों के खाली होने का यह कम आंकड़ा इसलिए हो सकता है क्योंकि सर्वे में हिस्सा लेने वाले लोग दिल्ली में नए प्रवासी नहीं हैं क्योंकि उनमें से 29% का दिल्ली में ही जन्म हुआ और यहीं पले बढ़े। जबकि 57% ने बताया कि वो 10 सालों से अधिक समय से दिल्ली में रह रहे हैं। सर्वे में पता चला कि महामारी के दौरान 8% को वित्तीय मदद और 4% को सरकार द्वारा नौकरी से संबंधित मदद मिली थी।

सर्वे में जब लोगों से पूछा गया कि अगर उन्हें इतना ही पैसा मिले जितना दिल्ली में मिलता है तो क्या वे अपने गांव में रहेंगे? इस सवाल के जवाब में 42% ने बताया कि वो अपने गांव या कस्बे में बसने के इच्छुक हैं जबकि 55% ने कहा कि वे दिल्ली में रहना जारी रखेंगे।

whatsapp share facebook share twitter share telegram share linkedin share
Related News
Latest News