महाराष्ट्र में राज्यसभा की छह सीटों के लिए शिवसेना और भाजपा के बीच मुकाबला सुनिश्चित हो गया है। चुनाव मैदान में उतरे सात उम्मीदवारों में से किसी ने भी शुक्रवार को अपना नामांकन वापस नहीं लिया। इससे दो दशक के बाद प्रदेश में राज्यसभा के लिए चुनाव की नौबत आई है। इनमें चार उम्मीदवार सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी (एमवीए) और तीन उम्मीदवार भाजपा से हैं।
महाराष्ट्र में इससे पहले 1998 में राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान हुआ था। तब सत्तारूढ़ कांग्रेस के उम्मीदवार राम प्रधान चुनाव हार गए थे। इस बार इमरान प्रतापगढ़ी कांग्रेस के उम्मीदवार हैं जिनको महाराष्ट्र पर थोपे जाने से प्रदेश कांग्रेस के नेता बेहद नाराज हैं। ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है क्या राज्यसभा के लिए मतदान के साथ ही महाराष्ट्र में 24 साल पुराना इतिहास फिर से दोहराया जाएगा।
पहले गुप्त मतदान होता था लेकिन अब राज्यसभा चुनाव के नियम बदल गए हैं। इसलिए साल 1998 में गुप्त मतदान प्रणाली के अनुसार चुनाव हुआ था, जबकि इस बार मतदाताओं (विधायकों) को अपना मत मतपेटी में डालने से पहले पार्टी सचेतक को दिखाना होगा। ऐसा नही करने पर इसे अनुशासनहीनता मानी जाएगी और पार्टी विधायक के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है लेकिन, विधायक की सदस्यता बरकरार रहेगी। इसलिए इस बार क्रॉस वोटिंग की संभावना नही है। लेकिन अगर कोई विधायक मतदान के दौरान गैरहाजिर रहता है तब खेला होने की पूरी संभावना है।
10 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव में इस बार शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की महाविकास अघाड़ी के चार और भाजपा के तीन उम्मीदवार मैदान में है। भाजपा ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अनिल बोंडे और पूर्व सांसद धनंजय महाडिक को चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि शिवसेना ने संजय राउत और संजय पवार को प्रत्याशी बनाया है। एनसीपी ने प्रफुल्ल पटेल को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने इमरान प्रतापगढ़ी को मैदान में उतारा है। छठी सीट पर मुकाबला बीजेपी के महादिक और शिवसेना के संजय पवार के बीच है।