नवरात्रि का समापन महानवमी या राम नवमी के दिन किया जाता है. इस दिन मां सिद्धिदात्री की विधिपूर्वक पूजा की जाती है. साथ ही, कन्या को देवी का रूप मानते हुए घर पर आमंत्रित किया जाता है. उनके चरणों को जल से धोकर घर में बैठाया जाता है. उन्हें भोजन कराया जाता है. ऋंगार का सामान उपहार में दिया जाता है. नवरात्रि में कन्या पूजन के दौरान 9 कन्याओं को घर पर बुलाया जाता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये 9 कन्याएं मां के नौ स्वरूप होते हैं. मान्यता है कि कन्याओं के घर में प्रवेश करने से माता रानी स्वयं घर में विराजती हैं. लेकिन कई बार लोगों को पूरी 9 कन्याएं पूजन के लिए नहीं मिल पातीं और ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि के व्रत का समापन 9 कन्याओं को भोजन कराने के बाद ही पूरा माना जाता है. ऐसे में ज्योतिषीयों के अनुसार क्या किया जाना चाहिए. जानें.
यूं करें कन्याओं का पूजन
- अक्सर जो लोग नवरात्रि का व्रत रखते हैं वे महानवमी का पूजन करते हैं, लेकिन कुछ लोग व्रत न रखने के बाद भी नवमी पूजन करते हैं और घर पर कंजकों का बुलाते हैं. इस दिन मां दुर्गा की पूजा कर हवन किया जाता है. इसके बाद मां दुर्गा को हलवा-चने और पूरी का भोग लगाया जाता है. लेकिन अगर कन्याओं को भोजन कराने में असमर्थ हैं, तो दुर्गा सप्तशती में वर्णित है, कि आप मां को लगाए भोग का अंश छत पर पक्षीयों के लिए भी रख सकते हैं. इसका फल कन्या पूजन के सामान ही मिलता है. या फिर आप गौ माता को भी प्रसाद देकर इसका पुण्य पा सकते हैं.
- अगर कन्या पूजन के दौरान कोई कन्या कम रह जाती है, तो उसकी पूरी थाली पूरी-हलवा चने का प्रसाद और गिफ्ट-पैसे आदि बाहर किसी मंदिर में दे आएं या फिर कहीं बाहर जाकर किसी कन्या को पकड़ा दें. इसके साथ ही, कन्या के वहीं पर पैर छूना न भूलें.
- अगर आप कहीं घर से बाहर हैं और घर पर कन्याओं को भोजन करवाना संभव नहीं है, तो आप सूखे मेवे, धन और कुछ प्रयोग में आने वाली चीजों को कन्या के नाम से पूजा में रखकर पूज लें और फिर बाद में जब भी संभव हो, कन्याओं को दे दें. ऐसा करने से भी कन्याओं को भोजन कराने जितना फल मिलता है.