हिंदू धर्म में देवी-देवता को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न तरह के पूजा-पाठ, अनुष्ठान आदि के बारे में बताया गया है। भगवान की पूजा करने का विशिष्ट तरीके वेद-शास्त्रों में बताए गए हैं। देवो के देव महादेव को भगवान शिव, भोलेनाथ, शंकर जी जैसे सैकड़ों नामों से जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव बहुत भोले होने के साथ विनाशक भी कहा जाता है। जितना जल्द पूजा से भोले बाबा प्रसन्न हो जाते हैं और वह जल्द ही रुष्ट हो जाते हैं। भोलेनाथ की पूजा करने से सुख-समृद्धि और धन संपदा की प्राप्ति होती है।
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव की पूजा के लिए सोमवार, प्रदोष व्रत, शिवरात्रि आदि दिनों में खास माना जाता है। इन दिनों में कई लोग व्रत रखने के साथ मंदिर भी जाते हैं। लेकिन कई बार शिव मंदिर जाते समय कुछ गलतियां कर देते हैं, जिससे भगवान शिव की पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है।
अधिकतर लोग शिव मंदिर जाते हैं, तो जल आदि घर से नहीं ले जाते हैं बल्कि मंदिर के प्रांगण में मौजूद जल से ही शिवलिंग का अभिषेक कर देते हैं या फिर पूजा के समय कुछ चीजें जैसे चंदन, सिंदूर, अक्षत, धूप आदि कम पड़ जाती है, तो मंदिर में मौजूद या फिर किसी अन्य व्यक्ति से मांग लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। इसके साथ ही घर का वास्तु दोष समाप्त नहीं होता है।
शास्त्रों के अनुसार, शिव मंदिर जाते समय घर से ही जल लेकर जाना चाहिए। क्योंकि आपके घर में ही वास्तु दोष, पितृ दोष, काल सर्प दोष सहित अन्य दोष विराजमान रहते हैं। ऐसे में जब आप घर में मौजूद घड़ा या फिर किसी जल से भरे हुए पात्र से पानी लेते हैं, तो उसके साथ ही घर के सभी दोष साथ जाते हैं और शिव जी को ये जल चढ़ाने से हर तरह के दोषों से छुटकारा मिल जाता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही घर की दरिद्रता और सदस्यों के कार्यों में आने वाली अड़चनों से भी छुटकारा मिल जाता है।