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Saturday, 26 October 2024

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कठिया गेहू खरीदना हुआ अब मुश्किल, मांग बढ़ने के कारण महंगा हुआ गेहू

05 October 2022 11:29 AM Mega Daily News
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कठिया गेहू: कठिया गेहूँ को लेकर किसानो की बढ़ी माँग,इस किस्म मात्र में 3 सिंचाई में 35 से 60 क्विंटल तक होगा उत्पादन। खेती-किसानी को ज्यादा लाभकारी बनाने के लिये हमारे वैज्ञानिक और किसान नये-नये प्रसायकर रहे हैं, जिससे खेती की लागत को घटाकर मुनाफा बढ़ाया जा सकेपोषक तत्वों की अधिकता और उद्योगों में डिमांड के कारण कठिया गेहूं की काफी मांग रहती है. वहीं किसानों को इसके भाव भी अच्छे मिलते हैं जिसके कारण उन्हें अच्छा मुनाफा होता है. जिन क्षेत्रों में पानी की कमी रहती है उन क्षेत्रों के लिए कठिया गेहूं किसी वरदान से कम नहीं है। यह गेहूं कि ऐसी किस्म है जो कम पानी के बावजूद अच्छी उपज देती है।

Perfect sowing time for Kathia wheat कठिया गेहूं की बुवाई का सही समय
असिंचित क्षेत्रों में कठिया गेहूं कि बुवाई का सही समय अक्टूबर माह का अंत से नवंबर के पहले सप्ताह तक उचित मानी जाती है। वहीं सिंचित क्षेत्र में इसकी बुवाई नवंबर के दूसरे और तीसरे सप्ताह तक की जानी चाहिए।

कठिया गेहू:

पोषक तत्वों से भरपूर काठिया गेहूं की फसल में रतुआ रोग की संभावना भी कम रहती है. देश-विदेश में बढ़ती मांग के चलते काला गेहूं 4,000 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बिकता है।इस किस्म के गेहूं से दलिया, सूजी और रवा के साथ-साथ सेवइयां,नूडल्स, पिज्जा, वर्मी सेली और स्पेघेटी बनाई जा रही है. बता दें कि काठिया गेहूं की फसल पानी की कमी वाले इलाकों के लिये किसी वरदान से कम नहीं है। गेहूं की ये किस्म मात्र 3 सिंचाई में 35 से 60 क्विंटल तक उत्पादन दे सकती है।

भारत में करीब 25 लाख हेक्टेयर या उससे कुछ अधिक क्षेत्रफल में ही काठिया गेहूं की खेती की जा रही है. वहीं गेहूं के उत्पादों की बढ़ती डिमांड के चलते काठिया गेंहू का रकबा भी बढ़ाने की जरूरत है। पोषक तत्वों से भरपूर गेहूं की ये प्रजाति कुछ साल पहले तक सिर्फ उत्तर प्रदेश के किसानों तक ही सीमित थी, लेकिन इसकी खूबियों को परखते हुये अब गुजरात, मध्य प्रदेश, और राजस्थान के किसान भी काठिया गेहूं की खेती में दिलचस्पी ले रहे हैं।

कठिया गेहू:

विशेषज्ञों की मानें तो असिंचित या कम वाली इलाकों में भी काठिया गेहूं की खेती करके 30 से 35 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं. वहीं सिंचित इलाकों में काला गेहूं 50 से 60 क्विंटल की पैदावार देता है।
गेहूं की साधारण किस्मों की तुलना में काठिया गेहूं को बीटा कैरोटीन व ग्लुटीन का अच्छा स्रोत मानते हैं. इसमें बाकी किस्मों के मुकाबले 1.5 से 2 प्रतिशत अधिक प्रोटीन मौजूद होता है।
पोषक तत्वों से भरपूर काठिया गेहूं की फसल में रतुआ रोग की संभावना भी कम ही रहती है. देश-विदेश में बढ़ती मांग के चलते काला गेहूं 4,000 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बिकता ह

Kathia Wheat Specialities कठिया गेहूं विशेषता
यह कम सिंचाई में भी अधिक उत्पादन देने वाला गेहूं है. इसमें महज 3 सिंचाई की जरूरत पड़ती है. इससे प्रति हेक्टेयर 45 से 50 क्विंटल की पैदावार हेाती है.सिंचित क्षेत्र में कठिया गेहूं से 50 से 60 क्विंटल की पैदावार होती है. वहीं असिंचित क्षेत्र में प्रति हेक्टेयर 30 से 35 क्विंटल का उत्पादन होता है।गेहूं की अन्य किस्मों की तुलना में कठिया गेहूं में प्रोटीन डेढ़ से दो प्रतिशत अधिक पाया जाता है. वहीं इसमें बीटा कैरोटीन व ग्लुटीन पर्याप्त मात्रा में होता है।कठिया गेहूं की फसल में रतुआ रोग तापमान के अनुकूल अधिक या कम होता है

Kathia Wheat देश में धान और गन्ना की कटाई के बाद रबी सीजन में ही कठिया गेहूं की बुवाई की जाती है. इस बीच खेतों में कार्बनिक पदार्थों वाली जैविक खाद और जैव उर्वरकों का प्रयोग फायदेमंद साबित हो सकता है।भारत के सिंचित इलाकों में इसकी बुवाई नवंबर के पहले या दूसरे सप्ताह तक की जाती है. वहीं असिंचित इलाकों में अक्टूबर माह से ही इसकी बुवाई का काम शुरू कर देना चाहिये।विशेषज्ञों की मानें तो देर से बुवाई करने पर गेहूं की क्वालिटी और उत्पादन पर काफी बुरा असर पड़ता है, इसलिये किसान काठिया गेहूं की अगेती खेती भी कर सकते हैं।खेती की लागत को कम करने के लिये सीड ड्रिल मशीन से काला गेहूं की बिजाई का काम कर सकते हैं. इससे उर्वरक और बीजों के साथ-साथ समय की भी काफी बचत होगी।काठिया गेहूं की बुवाई से पहले मिट्टी की जांच के आधार पर ही बीज, खाद-उर्वरक और बाकी प्रबंधन कार्य करने चाहिये, जिससे बेहतर उत्पादन मिल सके।

जाहिर है कि Kathia Wheat की खेती काफी कम क्षेत्रफल में की जाती है. ऐसे में इसका उत्पादन (Black Wheat Production) बढ़ाने के साथ-साथ क्वालिटी पर भी फोकस करना जरूरी है।काला गेहूं की खेती के लिये सिर्फ Organic manures and organic fertilizers containing organic matter का ही इस्तेमाल करना चाहिये।कई इलाकों में मिट्टी और जलवायु की आवश्यकता को देखते हुये 120 किग्रा नाइट्रोजन, 60 किग्रा। पोटाश प्रति हेक्टेयर और असिंचित इलाकों में 60 kg. Nitrogen, 30 kg. phosphorus and 15 kg. potash का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।ध्यान रखें कि Nitrogen की आधी मात्रा खेत की तैयारी के समय और आधी मात्रा पहली सिंचाई के बाद खेतों में डालनी चाहिये।

Irrigation for good yield of Kathia wheat
भी फसल से अच्छी पैदावार हासिल करने के लिये पोषण प्रबंधन के साथ-साथ मिट्टी में पर्याप्त नमी का होना जरूरी है, लेकिन काठिया गेहूं किस्म से खेती करने पर सिर्फ 3 सिंचाई में फसल तैयार हो जाती है।सिंचित इलाकों में काठिया गेहूं की फसल में बुवाई के 25 से 30 दिनों बाद पहली सिंचाई।
बुवाई के 60 से 70 दिनों के बाद दूसरी सिंचाई।
तीसरी सिंचाई का काम बुवाई के 90 से 100 दिनों के बाद किया जाता है।
कम मेहनत और कम संसाधनों में खेती-किसानी से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो किसानों को काठिया गेहूं यानी काला गेहूं की खेती जरूर करनी

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