दुनिया में बीते 24 घंटे से दो क्रूज मिसाइल की काफी चर्चा हो रही है. एक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, जिसके एंटी शिप वर्जन के परीक्षण का वीडियो जारी हुआ. और साथ ही व्लादिमीर पुतिन की वो क्रूज मिसाइल भी सुर्खियों में है, जिससे कल (28 अप्रैल) रात कीव पर हमला किया गया.
जब न्यूज चैनलों पर रूस और यूक्रेन के बीच जंग में इस्तेमाल मिसाइलों की चर्चा हो रही है, तब हम आपको भारत की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस (Supersonic Cruise Missile Brahmos) के नए और सबसे खतरनाक वर्जन के बारे में बता रहे हैं, जिसका अंडमान निकोबार में सफल परीक्षण हुआ. तो चलिए आपको बताते हैं कि दुश्मनों के लिए इस ब्रह्मोस से बचना क्यों नामुमकिन है.
भारत की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस (Supersonic Cruise Missile Brahmos) के अलग-अलग वर्जन हैं, लेकिन आज ब्रह्मोस के जिस वर्जन की बात हम करने जा रहे हैं वो सबसे खतरनाक है और यह चीन के लिए खतरे की घंटी है. दुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइलों में से एक ब्रह्मोस बीते 10 दिनों में तीन बार अपनी ताकत का एहसास करा चुकी है.
27 अप्रैल को ब्रह्मोस मिसाइल (Brahmos Missile) के एंटी शिप वर्जन का सफल परीक्षण हुआ. अंडमान निकोबार में समंदर के पास जमीन से एंटी शिप ब्रह्मोस मिसाइल ने रफ्तार पकड़ी और समंदर में तय टारगेट को तबाह कर दिया.
ब्रह्मोस मिसाइल (Brahmos Missile) की खासियत ये है कि वो हवा, जमीन और समंदर कहीं से भी हमला कर सकती है. पानी के अंदर से भी लॉन्चिंग मुमकिन है. भारतीय सेना हर तरह से इसे आजमा कर देख चुकी है और हर इम्तिहान में ब्रह्मोस सफल रही है. इसकी रेंज 500 किलोमीटर है और रफ्तार 3 हजार से 3500 किलोमीटर प्रति घंटा है. रडार की पकड़ में आए बिना दुश्मन पर हमला करने की इसकी ताकत इसे और खतरनाक बनाती है.
ब्रह्मोस मिसाइल (Brahmos Missile) एंटी शिप मिसाइल है और इसके बहुत सारे वर्जन हैं. इसमें ये नेवी वाला वर्जन है, जो एंटी शिप वर्जन ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड होता है और इसका कामयाब परीक्षण ज्यादा बड़ी बात होती है. भारतीय सेना के पास ब्रह्मोस के कई वर्जन हैं, लेकिन एंटी शिप वर्जन सबसे खतरनाक होता है क्योंकि समंदर में हिलते जहाजों को भेदना इतना आसान नहीं होता. हिंदुस्तान की ब्रह्मोस में वो ताकत है जो तैरती मछली की आंख भी कहीं से भेद सकती है. फिर चाहे वो जमीन हो या आसमान हो या समंदर.
पिछले 10 दिन में ब्रह्मोस के तीन परीक्षण हो चुके हैं. 27 अप्रैल को अंडमान निकोबार कमांड के जरिए जमीन से समंदर में हमले करने वाली एंटी शिप ब्रह्मोस का परीक्षण हुआ, जबकि 19 अप्रैल को INS दिल्ली की ओर से ब्रह्मोस ने टारगेट हासिल किया और उसी दिन वायुसेना ने सुखोई 30 MKI लड़ाकू विमान से ब्रह्मोस का सफल परीक्षण किया था.
सबमरीन के जरिए ब्रह्मोस को फायर करने का पहला परीक्षण 2013 में विशाखापट्टनम के पास किया गया था. तब ब्रह्मोस ने समुद्र की सतह के नीचे से फायर होने के बाद अपने लक्ष्य तक 290 किमी का सफर कामयाबी से पूरा किया था.
चीन और पाकिस्तान को ब्रह्मोस मिसाइल (Brahmos Missile) से डरने की जरूरत इसलिए है, क्योंकि ये दुनिया की सबसे तेज मिसाइलों में से एक है. यह जमीन, आसमान और समंदर. तीनों जगह से दुश्मनों पर हमला करने में सक्षम है. साथ ही जमीन की सतह से काफी पास उड़ने की वजह से ये आसानी से दुश्मनों के रडार की पकड़ में नहीं आती है.