Breaking News
युवती ने शादी के वक्त पति से छुपाई ऐसी बात, पता चलते ही पैरों तले खिसकी जमीन, परिवार सदमे में Best Recharge Plans : Jio ने 84 दिन वाले प्लान से BSNL और Airtel के होश उड़ा दिए, करोड़ों यूजर्स की हो गई मौज Cooking Oil Price Reduce : मूंगफली तेल हुआ सस्ता, सोया तेल की कीमतों मे आई 20-25 रुपये तक की भारी गिरावट PM Kisan Yojana : सरकार किसानों के खाते में भेज रही 15 लाख रुपये, फटाफट आप भी उठाएं लाभ Youtube से पैसे कमाने हुए मुश्किल : Youtuber बनने की सोच रहे हैं तो अभी जान लें ये काम की बात वरना बाद में पड़ सकता है पछताना
Monday, 02 December 2024

World

नेपाल के नव र्निवाचित पीएम की भारत के साथ क्या होगी विदेश नीति, इस पर सबकी निगाहें टिकी

30 December 2022 10:03 AM Mega Daily News
सरकार,नेपाल,प्रचंड,विदेश,उन्होंने,सामने,संबंधों,चुनौती,हालांकि,बातचीत,देशों,संबंध,भारतनेपाल,लोगों,जानकार,,foreign,policy,nepals,newly,elected,pm,india,everyones,eyes

नेपाल के नव र्निवाचित पीएम पुष्प कमल दाहाल क्या विदेश नीति अपनाएंगे इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं. उनके पिछले कार्यकाल में उन पर चीन समर्थक होने का आरोप लगता रहा है. हालांकि अब उन्होंने कहा है कि वह नेपाल को केंद्र में रखकर दुनिया के साथ अपने रिश्ते बनाएंगे.

एक भारतीय टीवी चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह शुरुआत से ही प्रो-नेपाली पॉलिसी पर चले हैं और उनका मकसद भारत, चीन समेत अन्य देशों के साथ अच्छे संबंध बनाना है. उन्होंने प्रो चीन या प्रो भारत होने की बात से इनकार करते हुए कहा, 'राजशाही के समय पर किसी को प्रो इंडिया, प्रो चीन तो किसी को प्रो अमेरिका कहकर नेपाल की राजनीति को चलाने की गलत परंपरा थी.'

‘भारत के साथ विशेष रिश्ता’

नेपाल के पीएम के मुताबिक भारत-नेपाल संबंधों को आगे लेकर जाना है. दोनों देशों के संबंधों पर उनका कहना है, 'हमारा बॉर्डर, इतिहास, भाषा, संस्कृति और लोगों से लोगों का जो रिश्ता है वह कहीं देखने को नहीं मिलता है. ' उन्होंने संकेत दिए कि उनकी पहली विदेश यात्रा भारत की हो सकती है.

वैसे कई जानकार मानते हैं कि तीसरी बार पीएम की सत्ता संभालने वाले प्रचंड के सामने विदेश नीति के मोर्च पर काफी चुनौतियां हैं.

प्रचंड के सामने आंतरिक चुनौती

वैसे कई जानकार मानते हैं कि तीसरी बार पीएम की सत्ता संभालने वाले प्रचंड के सामने विदेश नीति के मोर्च पर काफी चुनौतियां हैं. वैसे उनके सामने ज्यादा गंभीर चुनौती सरकार की स्थिरता को लेकर भी है क्योंकि उनकी एक गठबंधन सरकार है. 

हालात चीन के लिए अधिक बेहतर दिख रहे हैं क्योंकि कम्युनिस्ट पार्टियों ने मिलकर सरकार बनाई है. वहीं अलग-अलग विचारधारा वाली पार्टियां सरकार में आई हैं और उनमें से कई नई हैं. इसलिए दिल्ली के लिए उनसे संबंध बढाना एक चुनौती होगा. हालांकि भविष्य में पीएम मोदी और प्रधानमंत्री प्रचंड भारत-नेपाल सीमा विवाद सुलझाने को लेकर बातचीत कर सकते हैं.

वैसे कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि प्रचंड की सरकार आर्थिक कूटनीति पर चलेगी. सरकार के  लिए अच्छा यही रहेगा कि वह विदेशी संबंधों के मामले में किसी पार्टी या देश की बजाय नेपाल को आगे रखकर काम करे.

whatsapp share facebook share twitter share telegram share linkedin share
Related News
Latest News