लंदन की उच्च न्यायालय ने बुधवार को पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) कर्ज घोटाले के मामले में करीब दो अरब डॉलर की धोखाधड़ी करने तथा काले धन को सफेद बनाने के आरोपों का सामना करने के लिए हीरा कारोबारी नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पित करने का आदेश दे दिया. न्यायाधीश जेरेमी स्टुअर्ट-स्मिथ और न्यायाधीश रॉबर्ट जे ने फैसला सुनाया. उन्होंने इस साल की शुरुआत में नीरव की अपील पर सुनवाई की अध्यक्षता की थी.
नीरव मोदी ने की थी अपील
दक्षिण-पूर्व लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में बंद 51 वर्षीय नीरव को गत फरवरी में जिला न्यायाधीश सैम गूजी की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत की प्रत्यर्पण के पक्ष में दी गयी व्यवस्था के खिलाफ अपील करने की अनुमति दी गयी थी.
उच्च न्यायालय में अपील पर सुनवाई की अनुमति दो आधार पर दी गयी थी. यूरोपीय मानवाधिकार समझौते (ईसीएचआर) के अनुच्छेद 3 के तहत यदि नीरव की मानसिक स्थिति को देखते हुए उसका प्रत्यर्पण अनुचित या दमनकारी है तो दलीलों पर सुनवाई करने की अनुमति थी और मानसिक सेहत से ही संबंधित प्रत्यर्पण अधिनियम 2003 की धारा 91 के तहत इसकी अनुमति दी गयी.
नीरव पर दो मामले हैं. एक धोखाधड़ी से ऋण समझौता करके या सहमति-पत्र हासिल करके पीएनबी के साथ बड़े स्तर पर जालसाजी करने से संबंधित मामला जिसमें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जांच कर रहा है और दूसरा उस धोखाधड़ी से प्राप्त काले धन को सफेद में बदलने से संबंधित प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच वाला मामला है. उस पर साक्ष्यों को गायब करने और गवाहों को डराने-धमकाने के दो अतिरिक्त आरोप भी हैं जो सीबीआई के मामले में जोड़े गये.