प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी SCO समिट में हिस्सा लेने उज्बेकिस्तान के समरकंद पहुंच गए हैं. वहां पीएम मोदी का शानदार स्वागत हुआ. आज सदस्य देशों के बीच चर्चा होगी. इतना ही नहीं यहां होने वाली पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति पुतिन के बीच अलग से होने वाली बातचीत पर दुनिया की नजर है. लेकिन क्या आपको उज्बेकिस्तान के बारे में पता है? उज्बेकिस्तान का नाम मंगोल शासक तैमूर के पोते उजबेक के नाम पर पड़ा है. तैमूर ने भारत समेत दुनियाभर में तबाही मचाई थी. आज भी उसके जुल्म की दास्तान सुनकर दुनिया कांप जाती है. तैमूर की मौत के इतने साल बाद भी लोग उससे डरते हैं.
ऐसा माना जाता है कि कोई भी तैमूर कू कब्र को छू लेता है तो उसका पतन होना शुरू हो जाता है. तैमूर बेहद क्रूर शासक था. तैमूर की कब्र को लेकर भी कई तरह की कहानियां प्रचलित है. आपको बता दें कि तैमूर की कब्र से जुड़े दो रहस्य हैं.
कब्र का पहला रहस्य
तैमूर ने भारत समेत कई देशों पर अपना शासन स्थापित किया. इसके बाद उसने चीन पर कब्जा करने की कोशिश की. लेकिन 1 अप्रैल 1405 में उसकी मौत हो गई. इसके बाद उसे समरकंद में दफनाया गया. उसने मौत से 2 साल पहले ही अपनी कब्र का निर्माण शुरू करा दिया था. उसकी मौत के बाद उसकी कब्र को बेशकीमती पत्थर से ढंक दिया गया था. ईरान के शासक नादिर शाह को ये पत्थर काफी पसंद आया था. वो इसे 1740 में ईरान ले गया. बताया जाता है कि इसके बाद से ही नादिर शाह का पतन होना शुरू हो गया. इसके बाद उसने वो पत्थर वापस तैमूर की कब्र पर रखवा दिया. इसके बाद फिर से सब सामान्य होने लगा.
कब्र का दूसरा रहस्य
तैमूर की कब्र से जुड़ा एक दूसरा रहस्य भी है. साल 1941 में रूस के शासक जोसेफ स्टालिन ने तैमूर की कब्र को खुदवाने का आदेश दिया था. जब इसे खोदा गया तो इसमें दो चेतावनियां लिखी मिलीं. इस पर लिखा था, 'जब मैं अपनी मौत के बाद खड़ा होऊंगा तो दुनिया कांप उठेगी. वहीं, दूसरी चेतावनी थी, 'जो कोई भी मेरी कब्र को खोलेगा उसे ऐसे शत्रु से हार मिलेगी जो मुझसे भी ज्यादा भयानक होगा'. बताया जाता है कि जिसने भी तैमूर की कब्र को खोदने या छेड़छाड़ करने की कोशिश की है उन्हें इसका परिणाम भुगतना पड़ा है.
रूसी शासक स्टालिन के आदेश के बाद जब तैमूर की कब्र को खोला गया, उसके एक दिन बाद 11 जून 1941 को हिटलर ने सोवियत संघ पर हमला कर दिया. इसके बाद स्टालिन ने फिर से कब्र को ससम्मान पहले जैसा करने का आदेश दिया. कब्र को फिर से बंद करने के बाद जर्मनी की सेना ने सरेंडर कर दिया और स्टालिन की जीत हुई.