पहले कोरोना महामारी और अब रूस-यूक्रेन युद्ध ने दुनिया के तमाम देशों की अर्थव्यवस्थाओं को दबाव में ला दिया है. इस दबाव से विश्व की एकमात्र महाशक्ति अमेरिका भी अछूता नहीं है. अमेरिका मुद्रास्फीति की दर काफी बढ़ गई है, जिससे वहां हर चीज पर महंगाई बढ़ी है. इससे निपटने के लिए अमेरिका के फेडरल रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी का फैसला किया है. माना जा रहा है कि इस फैसले से अमेरिका में कई कारोबार तबाह हो सकते हैं और लोगों को गरीबी-बेरोजगारी भुगतनी पड़ सकती है.
बुधवार को हुई मीटिंग में लिया गया फैसला
रिपोर्ट के मुताबिक फेडरल रिजर्व बैंक (US Federal Reserve Bank) के अधिकारियों ने बुधवार को हाई लेवल मीटिंग की. इस बैठक में मुद्रा स्फीति को काबू करने के तरीकों के बारे में चर्चा की गई. डिस्कशन के बाद अधिकारियों ने ब्याज दरों में 75 आधार अंकों की और बढ़ोतरी करने का फैसला किया. यह फैसला अगस्त में अचानक से महंगाई बढ़ने और जॉब मार्केट में बढ़ोतरी के कारण लिया गया है. बैंक के चेयरमैन Jerome Powell ने बुधवार को यह जानकारी दी.
अमेरिका में बेरोजगारी बढ़ने का खतरा
जेरोम पॉवेल ने कहा कि वे बढ़ती मुद्रास्फीति को एक या दूसरे तरीके से समाप्त कर देंगे. ब्याज दरों में वृद्धि के साथ आने वाले खतरनाक आर्थिक नतीजों से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है. वे इसका कोई न कोई समाधान निकाल लेंगे. वहीं कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि देश में उपभोक्ता वस्तुओं की बढ़ती मांग और उनकी कीमतों में हो रही बढ़ोतरी पर अंकुश लगाने के लिए फेडरल रिजर्व बैंक ने यह दांव खेला है. एक्सपर्टों के मुताबिक यह दांव कितना कामयाब होगा, यह तो वक्त बताएगा लेकिन इसके इससे अमेरिका में बेरोजगारी की दर बढ़ जाएगी.
लगातार तीसरी बार बढ़ाई गई ब्याज दरें
यूएस फेडरल रिजर्व बैंक (US Federal Reserve Bank) ने बुधवार को ब्याज दर को तीन-चौथाई प्रतिशत बढ़ाकर 3.00% -3.25% की सीमा तक बढ़ा दिया. ऐसा बैंक की ओर से लगातार तीसरी बार किया गया. इसके साथ ही बैंक ने संकेत दिया है कि बढ़ती मुद्रा स्फीति पर अंकुश लगाने के लिए वह भविष्य में ब्याज दरों में और ज्यादा बढ़ोतरी कर सकता है. अमेरिका में महंगाई इस समय 40 साल के उच्चतम स्तर पर है.
तेल की कीमतों में आई गिरावट
फेडरल रिजर्व बैंक (US Federal Reserve Bank)की ओर से मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी का अमेरिका में तुरंत असर नजर आया. ब्याज दरों में भारी बढ़ोतरी होते ही वहां पर तेल की कीमतें गिर गईं. Brent futures तेल के दाम में 54 सेंट की कमी हो गई और वह 90.08 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. वहीं US West Texas Intermediate (WTI) क्रूड ऑयल 71 सेंट या 0.9% गिरकर 83.23 डॉलर हो गया. माना जा रहा है कि बैंक के इस फैसले से अमेरिका में कारोबारी गतिविधियों के लिए लोगों को पैसा जुटाना मुश्किल हो सकता है, जिसका असर वहां की कारोबारी गतिविधियों पर पड़ेगा.
'ब्याज दरें बढ़ने पर भी बाजार की सकारात्मक प्रतिक्रिया'
यूएस फेडरल रिजर्व बैंक की ओर से ब्याज दरों में की गई बढ़ोतरी पर Wright Research की फाउंडर सोनम श्रीवास्तव (Sonam Shrivastav) ने अहम टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि यूएस फेडरल रिजर्व बैंक ने लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में 75 पॉइंट की बढ़ोतरी की है. यह कदम अमेरिकी अर्थव्यवस्था में लगातार बढ़ रही मुद्रास्फीति को कम करने की चिंता से प्रेरित है. हैरानी की बात है कि मौद्रिक स्थितियों के सख्त होने की इस खबर पर बाजार ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है. यह वास्तव में इसलिए है क्योंकि लोग ब्याज दरों में 100 बेसिक पॉइंट की बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे थे.
'भारत के लिए अच्छी नहीं है ये खबर'
वे कहती हैं कि फेडरल बैंक ने भले ही मुद्रा स्फीति को काबू में करने के लिए यह शॉर्टकट चुना हो लेकिन लगातार बढ़ती ब्याज दरें अच्छी खबर नहीं हैं. इससे भारतीय रिजर्व बैंक पर भी देश में मुद्रा स्फीति कम करने के लिए ऐसी ही प्रतिक्रिया करने का दबाव डाला जाएगा, जिससे भारतीय रुपये की रक्षा की जा सके और वित्तीय तनाव से बचा जा सके. सोनम श्रीवास्तव के मुताबिक ऐसे हालात में नकदी पर चलने वाले बिजनेस में पैसा लगाने से बचना बचना बुद्धिमानी है, खासतौर पर ऐसे बिजनेस जिन पर बहुत ज्यादा कर्ज है. सोनम के अनुसार हम गुरुवार को बैंकों को उच्च स्तर पर खुलते और बाजार को सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए देख सकते हैं.
'भारत में इन संस्थानों के बढ़ सकते हैं शेयरों के दाम'
सोनम श्रीवास्तव के मुताबिक यूएस फेडरल रिजर्व बैंक के इस फैसले का असर गुरुवार को भारत में भी देखने को मिल सकता है. इस फैसले के बाद गुरुवार को एसबीआई (SBI), बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank Baroda), बजाज फाइनेंस (Bajaj Finsv) और एचडीएफसी (HDFC) के शेयरों के दाम बढ़ने की संभावना है.