नैंसी पेलोसी के ताइवान यात्रा के चलते चीन और अमेरिका में तनाव चरम पर पहुंच गया है। चीनी चेतावनी के मद्देनजर अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव की स्पीकर पेलोसी 24 लड़ाकू विमानों की निगहबानी में ताइवान पहुंचीं। उनके विमान को अमेरिकी नौसेना और वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने एस्कॉर्ट किया। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान पहुंच के बाद चीन आगबबूला हो गया है। दोनों देशों के बीच जंग जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है।
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी आज से तीन दिवसीय लाइव फायर का अभ्यास करेगी। उधर, ताइवान भी चीन की तरफ से होने वाली किसी भी प्रतिक्रिया का जवाब देने के लिए तैयार है।
नागरिक जहाजों और विमानों को अभ्यास क्षेत्रों में प्रवेश करने से मना किया गया है। मीडिया रिपोर्ट में इसकी पुष्टि की गई है। पेलोसी की ताइवान यात्रा से पहले चीन ने मंगलवार बिस्कुट और पेस्ट्री के 35 ताइवानी निर्यातकों से आयात को निलंबित कर दिया। हांगकांग सहित ताइवान और चीन के बीच बिस्कुट और पेस्ट्री महत्वपूर्ण व्यापारिक वस्तुएं हैं। ताइवान से 2021 में लगभग दो तिहाई निर्यात बिस्कुट और पेस्ट्री थे। ऐसा अनुमान है कि प्रतिबंध प्रभावी होने के बाद ताइवान में 100 से अधिक कंपनियां चीन के साथ व्यापार करना बंद करने के लिए मजबूर हो जाएंगी।
चीन की सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है। चीन की सेना पेलोसी की ताइवान यात्रा के जवाब में लक्षित सैन्य अभियान शुरू करेगी। चीन के रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार रात को यह जानकारी दी।
चीन ने अमेरिका चेतावनी दी थी कि वह आग से खेल रहा है। उसने कहा था कि इसका अंजाम बहुत बुरा होगा। वहीं, रूस ने भी चीन के रुख का समर्थन करते हुए अमेरिका पर इस क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने का आरोप लगाया है। हालांकि अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया है कि यह यात्रा जारी रहेगी।
पेलोसी के पहुंचने से चंद मिनट पहले ही चीन ने अपने लड़ाकू विमानों को ताइवान के आसमान में भेजकर इस यात्रा के प्रति अपना कड़ा विरोध व्यक्त किया। ताइवान स्ट्रेट में उसके लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी।
अमेरिकी वायु सेना का बोइंग सी-40सी-एसपीएआर 19 को दुनिया में सबसे ज्यादा ट्रैक किया गया। इसी विमान से नैंसी पेलोसी ताइवान जा रही थीं। वर्तमान में यह दुनिया का सबसे अधिक ट्रैक किया जाने वाला विमान है। फ्लाइट-ट्रैकिंग वेबसाइट फ्लाइटरडार24 के मुताबिक पेलोसी की फ्लाइट की हर हरकत को करीब 320,000 यूजर्स फॉलो कर रहे थे।
ताइवान और चीन के बीच विवाद काफी पुराना है। 1949 में कम्यूनिस्ट पार्टी ने गृहयुद्ध था तब से दोनों हिस्से अपने आप को एक देश तो मानते हैं, लेकिन इस पर विवाद है कि राष्ट्रीय नेतृत्व कौन सी सरकार करेगी। चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है, जबकि ताइवान खुद को आजाद देश मानता है। दोनों के बीच अनबन की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद से हुई। उस समय चीन के मेनलैंड में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और कुओमितांग के बीच जंग चल रही थी। 1940 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्ट ने कुओमितांग पार्टी को हरा दिया। इसके कुओमितांग के लोग ताइवान आ गए। उसी साल चीन का नाम 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' और ताइवान का 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' पड़ा। चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है और उसका मानना है कि एक दिन ताइवान उसका हिस्सा बन जाएगा।