लाहौर हाईकोर्ट ने तोशाखाना मामले में अयोग्य ठहराए जाने के बाद इमरान खान को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाने की मांग वाली एक याचिका सुनवाई के लिए बुधवार को मंजूर कर ली. रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार को सुनवाई की अध्यक्षता जस्टिस मुहम्मद साजिद महमूद सेठी करेंगे.
पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) ने 21 अक्टूबर को अनुच्छेद 63 (1) (पी) के तहत तोशाखाना संदर्भ में खान को अयोग्य घोषित कर दिया था. इसके बाद 24 अक्टूबर को ईसीपी ने उन्हें 'तत्काल प्रभाव' से एनए-95 के बजाय एमएनए के रूप में अधिसूचित किया था. एडवोकेट मोहम्मद अफाक की ओर से पेश याचिका में इमरान, ईसीपी, फेडरेशन और पाकिस्तान की सरकार और अन्य का प्रतिवादी के तौर पर जिक्र किया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, याचिका में तर्क दिया गया है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1976 और राजनीतिक दल आदेश (पीपीओ) 2002 के अनुसार, पार्टी पदाधिकारियों के लिए संविधान के अनुच्छेद 62 और 63 के अनुसार योग्य होना एक कानूनी जरूरत है.
याचिका में कहा गया कि एनए-95 निर्वाचन क्षेत्र से खान की अयोग्यता के बाद उन्हें पीटीआई अध्यक्ष के रूप में गैर-अधिसूचित किया जाना सही है और इस संबंध में एक आदेश जारी किया जाना चाहिए. इसमें कहा गया कि खान को पार्टी के मुखिया पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है, क्योंकि यह पीपीओ का उल्लंघन है. याचिका में यह भी मांग की गई है कि ईसीपी अध्यक्ष को पीटीआई के नए अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए आदेश देना चाहिए.
ईसीपी ने अक्टूबर में तोशाखाना के संदर्भ में इमरान को अयोग्य घोषित कर दिया था. फैसले में कहा गया था कि पूर्व प्रधानमंत्री ने उन्हें मिले उपहारों के बारे में 'झूठे बयान दिए थे और गलत घोषणाएं' की थीं. तोशाखाना कैबिनेट डिवीजन के प्रशासनिक नियंत्रण में एक विभाग है, जो शासकों, सांसदों, नौकरशाहों और अधिकारियों को दूसरे राज्यों की सरकारों और राज्यों के प्रमुखों और विदेशी गणमान्य हस्तियों की ओर से दिए गए कीमती उपहारों का कलेक्शन रखता है. डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, तोशाखाना नियमों के अनुसार, जिन लोगों पर ये नियम लागू होते हैं, उन्हें उपहार और अन्य ऐसी सामग्री हासिल होने पर इसकी सूचना कैबिनेट डिवीजन को देनी पड़ती है.