नए उपराष्ट्रपति के रूप में राजग उम्मीदवार जगदीप धनखड़ की जीत तो पहले दिन से तय थी, लेकिन मतगणना के बाद वोटों का जो अंतर आया उसने यह सवाल खड़ा कर दिया कि विपक्ष क्या खुद से भी हार गया। कुल 725 वोट पड़े थे। इनमें से धनखड़ को 528 वोट मिले और विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 182 वोट। 15 वोट अवैध पाए गए। इस तरह धनखड़ ने विपक्षी उम्मीदवार को 346 मतों से पराजित किया है, उन्हें 74.36 प्रतिशत वोट मिला।
वर्ष 1997 के बाद से उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत का यह सबसे बड़ा अंतर है। वर्तमान उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त तक है। उसके अगले दिन यानी 11 अगस्त को धनखड़ उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। वह देश के 14वें और राजस्थान से दूसरे उपराष्ट्रपति होंगे। राजस्थान से पहले उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत थे। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष समेत पक्ष-विपक्ष के तमाम नेताओं ने धनखड़ को जीत की बधाई दी है।
नए उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए शनिवार को संसद भवन परिसर में सुबह 10 बजे वोटिंग शुरू हुई थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत तमाम नेताओं ने वोट डाले। कोरोना संक्रमित कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी पीपीई किट में मतदान के लिए पहुंचे। उपराष्ट्रपति चुनाव में केवल लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य ही मतदान करते हैं।
शाम छह बजे के बाद मतगणना शुरू हुई और करीब 7.30 बजे यह पूरी हुई। लोकसभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह ने आंकड़ों के साथ धनखड़ की जीत की घोषणा की। दोनों सदनों में कुल सदस्यों की संख्या 788 है, लेकिन राज्यसभा की आठ सीटें खाली हैं। इसलिए कुल योग्य 780 वोटर थे, जिनमें से 725 ने मतदान किया।
शिवसेना के सात सांसदों समेत कुल 55 सांसदों ने मतदान नहीं किया। शिवसेना के संजय राउत जेल में होने की वजह से वोट नहीं दे पाए। भाजपा के सनी देओल और संजय धोत्रे, समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव और शफीकुर रहमान बर्क, बसपा के दो और आप के एक सांसद ने भी मतदान नहीं किया।
पिछल महीने हुए राष्ट्रपति चुनाव के बाद उपराष्ट्रपति चुनाव का बड़ा राजनीतिक संदेश यह है कि विपक्ष सत्तापक्ष को हराने के बजाय खुद से ही हारता दिखा। यह स्पष्ट होना बाकी है कि जिन 15 सदस्यों के वोट अवैध हुए वे कौन हैं। विपक्षी दलों के कई सदस्यों ने वोट भी नहीं दिया।
तृणमूल कांग्रेस ने उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहने का फैसला किया था। लेकिन उसके दो सदस्य शिशिर कुमार अधिकारी और दिब्येंदु अधिकारी ने मतदान किया। तृणमूल के कुल 36 सांसद हैं, जिनमें से 23 लोकसभा के सदस्य हैं। यह पूरा आंकड़ा इसलिए रोचक हो गया है क्योंकि इन्हीं कारणों से अल्वा को अपेक्षा से कम वोट मिले। राष्ट्रपति चुनाव में भी द्रौपदी मुर्मु को 17 सांसदों और 126 विधायकों ने क्रास वोटिंग की थी।
राष्ट्रपति के बाद उपराष्ट्रपति चुनाव के आंकड़े विपक्ष के लिए गंभीर चेतावनी है। राष्ट्रपति चुनाव के वक्त से ही विपक्षी एकजुटता की बात बार-बार की जाती रही और लगभग उसी वक्त से इसमें दरारें भी दिखती रहीं। क्षेत्रीय राजनीति का असर इन चुनावों पर भी दिखा और सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस लाचार नजर आई।
धनखड़ की जीत के साथ ही संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा के अध्यक्ष राजस्थान से होंगे। उपराष्ट्रपति के तौर पर धनखड़ राज्यसभा के सभापति होंगे। वह राजस्थान के झुंझुनूं जिले के रहने वाले हैं। लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला भी राजस्थान के कोटा जिले के रहने वाले हैं। वह कोटा से ही सांसद भी हैं।