दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण (Delhi NCR Air Pollution) का स्तर एक बार फिर खतरनाक रूप ले चुका है. हालात पर काबू पाने के लिए कई तरह की पाबंदियां लागू कर दी गई हैं. डॉक्टरों का कहना है कि जिन लोगों को पहले कोरोना हो चुका है, उनके लिए वायु प्रदूषण जानलेवा हो सकता है. इसलिए वे बेहद सावधानी रखें और अनावश्यक रूप से बाहर निकलने से बचें. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें अस्पताल में भर्ती तक होना पड़ सकता है.
स्टडी में हुए कई नए खुलासे
अमेरिका के SUNY College of Environmental Science and Forestry के रिसर्चरों ने कोरोना महामारी के दौरान एक स्टडी की थी. उन्होंने प्रदूषण फैलाने वाले कणों और कोरोना का लिंक समझने के लिए यह रिसर्च की. दिसंबर 2020 में इस स्टडी का विषय था कि हवा में धूल के कणों के बढ़ने से क्या असर हो सकता है. आंकलन के मुताबिक कोरोनावायरस के शिकार 15 फीसदी लोगों की मौत की वजह प्रदूषित हवा में लंबे समय तक सांस लेना था.
कोरोनावायरस के मरीजों को ज्यादा खतरा
रिसर्च के मुताबिक अगर किसी इलाके में वायु प्रदूषण (Delhi NCR Air Pollution) का स्तर खतरनाक लेवल्स पर पहुंच जाए तो कोरोना के शिकार मरीजों की जान जाने का खतरा 9 फीसदी तक बढ़ जाता है. रिसर्च में पाया गया कि अगर फाइन पार्टिकुलेट मैटर यानी PM 2.5 में एक माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर का भी इजाफा हो जाए तो कोरोनावायरस के शिकार लोगों के लिए मौत का खतरा 11% तक बढ़ जाता है.
अगर उस इलाके में हवा के फैलने की जगह कम हो और आबादी का घनत्व यानी कम जगह में ज्यादा लोग रहते हों तो ये खतरा और बढ़ जाता है. इसी तरह नाइट्रोजन डाईऑक्साइड का स्तर बढ़ने से क्या खतरे बढ़ते हैं, इसकी भी स्टडी की गई. ये वो प्रदूषित कण हैं, जो वाहनों और पावर प्लांट के धुएं से आते हैं. अगर इसके स्तर में 4.6 ppb यानी parts per billion की बढ़ोतरी हो जाए तो कोरोना वायरस के मरीजों की जान को खतरा 11.3% तक बढ़ जाता है.
प्रदूषण से बचने के लिए लगाएं ये मास्क
एम्स के पल्मनरी मेडिसिन विशेषज्ञ और संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ रंदीप गुलेरिया कहते हैं कि दिवाली के बाद एक्यूआई अक्सर 500 के ऊपर चला जाता है. कई बार तो यह 900 के ऊपर भी चला जाता है. उन्होंने वायु प्रदूषण (Delhi NCR Air Pollution) से बचने के लिए कई उपाय बताए हैं. डॉ गुलेरिया ने बताया कि प्रदूषण से बचने के लिए N95 मास्क का प्रयोग किया जा सकता है. हालांकि वो भी पूरी तरह सुरक्षा नहीं दे पाएगा, फिर भी प्रदूषण को सीधे शरीर में जाने से जरूर रोकेगा.
वे कहते हैं कि बच्चे, बुजुर्ग और वे लोग, जिन्हें सांस से जुड़ी दिक्कतें हैं, वे बाहर निकलने से बचें. अगर घर से बाहर जाना भी हो तो धूप निकलने के बाद ही बाहर जाएं. गर्भवती महिलाएं भी प्रदूषण के दौरान बाहर निकलने से परहेज करें. बच्चे सुबह- शाम बाहर खेलने से बचें. डॉ गुलेरिया बताते हैं कि जहां पर प्रदूषण ज्यादा था, वहां पर कोविड का असर भी ज्यादा रहा है. दोनों मामलों में सांस लेने की प्रक्रिया प्रभावित होती है.
बिना प्रेस्क्रिप्शन के ले सकेंगे आंखों की ये दवा
उधर सूत्रों के मुताबिक बढ़ते वायु प्रदूषण (Delhi NCR Air Pollution) को देखते हुए अब ड्राई Eyes की दवा 'Refresh Tears' लेने के लिए प्रेस्क्रिप्शन की ज़रुरत नहीं होगी. आंखों में जलन, प्रदूषण से होने वाली परेशानी या आंखें लाल होने पर इस दवा का प्रयोग किया जाता है. दवा बनाने वाली कंपनी Allergen India Pvt Ltd ने सरकार की ड्रग रेगुलेटर अथॉरिटी से गुजारिश की थी कि इस दवा को OTC यानी Over the counter बेचने की इजाजत दी जाए. CDSCO की ड्रग रेगुलेटरी बॉडी DTAB यानी drug technical advisory board ने इस अर्जी को मान लिया है.
वायु प्रदूषण, देर तक मोबाइल इस्तेमाल करने और किसी विशेष बीमारी में जब आंसू ना बन रहे हों तो इस दवा को इस्तेमाल किया जाता है. बीते सालों में लोगों का स्क्रीन टाइम बढ़ने से इस तरह की दवाओं का इस्तेमाल बढ़ गया है.