दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन में राजनीतिक दखलंदाजी के खिलाफ इंडियन हिमालयन काउंसिल आफ नालंदा बुद्धिस्ट ट्रैडिशन ( Indian Himalayan Council of Nalanda Buddhist Tradition) ने दिल्ली में एक रेजोल्यूशन ( Resolution) पारित करते हुए कहा है कि अगले दलाई लामा का चयन धार्मिक आधार पर होना चाहिए और इस मामले में बाहर से कोई भी दखलंदाजी मान्य नहीं होगी. देखा जाये तो बौद्ध धर्म से जुड़ी हिमालयन काउंसिल का रेजोल्यूशन चीन के लिए एक कड़ा संदेश है जो लगातार ये दावा करता रहा है कि दलाई लामा के अगला उत्तराधिकारी चीन से ही होगा.
चीन की मंशा आ चुकी है सामने
20 दिसंबर को Indian Himalayan Council of Nalanda Buddhist Tradition की गवर्निंग काउंसिल की बैठक के दौरान इस बात की चिंता जाहिर की गई कि कुछ देश बौद्ध धर्म के आंतरिक मामलों में दखल देकर उसके फैसले को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं. देखा जाये तो कुछ साल पहले चीनी सरकार के एक अधिकारी ने ये बयान देकर दलाई लामा के अनुयायियों को नाराज कर दिया था. जिसमें चीन की तरफ से कहा गया था कि तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का उत्तराधिकारी चीन से ही चुना जायेगा. चीन की तरफ से ये भी कहा गया था कि इस मुद्दे पर भारत की तरफ से किसी भी तरह का हस्तक्षेप दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित करेगा.
चीन को इस मामले में बोलने का हक नहीं..
Indian Himalayan Council of Nalanda Buddhist Tradition के अध्यक्ष लोचेन रिमपोशे ( Lochen Rimpoche) ने बातचीत में बताया कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन में राजनैतिक हस्तक्षेप बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिए. ये धार्मिक मामला है. ये पोलिटिकल हस्तक्षेप कौन करता है चीन करता है. चीन को इस मामले में बोलने का हक़ नहीं है क्योंकि उनकी कम्युनिस्ट सरकार वो धर्म को मानते नहीं हैं. ऐसे में उनको रिलीजियस मामलें में बोलने का हक़ नहीं है. लोचेन ने ये भी कहा कि चीन जिस तरह से भारत के इलाके में अतिक्रमण करने की कोशिश करता है, इस पर हमारा यही कहना है कि उनका ऐसा रवैया पहले से रहा है. वो बॉर्डर पर अटैक करते हैं. लेकिन हम जब बॉर्डर पर रहते हैं तो चैन से सोते हैं क्योंकि हमें देश की सिक्योरिटी सिस्टम पर पूरा भरोसा है.
चीन से नाराज सीमा के लोग
देखा जाये तो जिस तरह से लगातार चीन भारत से सटे बॉर्डर इलाकों में घुसपैठ करने की कोशिश करने के साथ-साथ बौद्ध धर्म से जुड़े मामलों में हस्तक्षेप करने की कोशिश करता है उससे भारत-चीन सीमा पर रहने वाले लोग चीन के इस रवैये से काफी नाराज हैं. Indian Himalayan Council of Nalanda Buddhist Tradition के महामंत्री मैलिंग गोम्बो (Maling Gombo) ने बताया कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन की पूरी प्रक्रिया धार्मिक है और इस मामले में दलाई लामा से जुड़ी संस्था ही फैसला करेगी और इसमें बाहर से कोई भी दखल नहीं दे सकता. चीन जितनी भी कोशिश कर ले लेकिन उसके फैसले की धार्मिक मान्यता नहीं होगी.
क्या चल रहा चीन के खुराफाती दिमाग में
हम आपको बता दें कि Indian Himalayan Council of Nalanda Buddhist Tradition (IHCNBT) इंडियन ट्रांस हिमालयन रीजन में नालंदा बुद्धिज्म को प्रमोट करने के साथ-साथ उसको संरक्षित और विकास करने के क्षेत्र में काम करती है. नालंदा बुद्धिज्म की जड़ें तवांग से लेकर सिक्किम, लाहौल स्पीति, किन्नौर, उत्तराखंड से लेकर लद्दाख तक फैली हैं. पूरे हिमालयन रीजन में नालंदा बुद्धिज्म का भारत, चीन और तिब्बत में काफी प्रभाव है. यही वजह है कि चीन की सरकार अगला दलाई लामा का चयन चीन से कराना चाहती है. जिससे वो इन बार्डर इलाके में अपने असर को मजबूत कर सके.