केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफे से पहले नकवी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी. मुख्तार अब्बास नकवी केंद्र सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री थे. मुख्तार अब्बास नकवी के केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद चर्चा शुरू हो गई कि उपराष्ट्रपति के चुनाव में वह बीजेपी के उम्मीदवार हो सकते हैं.
बता दें कि उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है और चुनाव आयोग के अनुसार, 19 जुलाई उपराष्ट्रपति के लिए नामांकन की अंतिम तिथि है. चुनाव 6 अगस्त को होगा.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, पूर्व केंद्रीय मंत्री नजमा हेपतुल्ला और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह भी उपराष्ट्रपति पद की रेस में हैं. नकवी का राज्यसभा में कार्यकाल आज समाप्त हो रहा है और हाल में हुए उपचुनावों में बीजेपी ने उन्हें टिकट भी नहीं दिया.
मुख्तार अब्बास नकवी और राजनाथ सिंह मोदी सरकार में दो ऐसे मंत्री हैं जो अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार में भी थे. पिछले काफी समय से सत्तारूढ़ दल उपराष्ट्रपति पद के लिए अल्पसंख्यक समुदाय के एक प्रतिनिधि पर चर्चा कर रहा है, खासकर ऐसे समय में जब बीजेपी को नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मुहम्मद की टिप्पणियों पर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
मुख्तार अब्बास नकवी 2010 से 2016 तक यूपी से राज्यसभा सदस्य रहे. 2016 में वह झारखंड से राज्यसभा भेजे गए. नकवी पहली बार 1998 में लोकसभा का चुनाव जीते और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाए गए थे.
इसके बाद 26 मई 2014 में वह मोदी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री बने. 12 जुलाई 2016 को नजमा हेपतुल्ला के इस्तीफे के बाद उन्हें अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार मिला. वह 30 मई 2019 को मोदी कैबिनेट में शामिल हुए और अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय बना रहा.