रतलाम : (जगदीश राठौर...) न्यायालय विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट जावरा जिला रतलाम श्रीमती उषा तिवारी द्वारा पारित निर्णय अनुसार अभियुक्त श्यामलाल पिता रामेश्वर भील उम्र 25 साल निवासी बडावदा जिला रतलाम (म.प्र. )को धारा 376(2)आई भादवि में 10 वर्ष सश्रम कारावास व 500/- रूपये अर्थदण्ड से दण्डित किया गया.
अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी विजय पारस विशेष लोक अभियोजक पॉक्सो एक्ट जावरा जिला रतलाम ने बताया कि गत 28 मार्च 2018 को 16 वर्षीय अव्यस्क अभियोक्त्री ने अपनी मॉ के साथ थाना बड़ावदा पर उपस्थित होकर पुलिस को घटना बताई कि वर्ष 2013 में वह स्कूल में पढ़ती थी. श्यामलाल भी स्कूल में पढ़ता था, तब उसकी जान पहचान हो गयी थी. तभी से आरोपी श्यामलाल शादी का झांसा देकर उसके साथ लैगिंक शोषण करता रहा. शादी का झांसा देकर कई बार उसके घर आकर भी उसे अकेला पाकर लैगिंक शोषण किया गया था. 23 मार्च 2018 को भी रात में करीब 11ः00 बजे श्यामलाल अभियोक्त्री के घर आया और उसके साथ लैगिंक शोषण किया तो पीड़िता ने आरोपी कहा कि शादी करने का कहा तो, उसने शादी करने से मना कर दिया. आरोपी ने शादी का झांसा देकर अभियोक्त्री के साथ कई बार लैगिंक दुष्कर्म किया. अभियोक्त्री ने उक्त सारी बात अपने भाई व मॉ को बतायी.
अभियोक्त्री द्वारा बताई गई घटना पर से थाना बडावदा पर आरोपी के विरूद्ध अपराध क्र. 65/2018 धारा 376(2)(छद्धए 376(2)( भादवि 5(स्)/6 पॉक्सो एक्ट का प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया. विवेचना के दौरान अभियोक्त्री के कथन लिए जाकर, उसका मेडिकल कराया गया. जिसमें अभियोक्त्री गर्भवती होना पाई गई. गत 2 अप्रैल 2018 को अभियुक्त श्यामलाल को गिरफ्तार कर उसका भी मेडिकल करवाया गया. 9 अप्रैल 2018 को पीड़िता का गर्भपात होने से जिला चिकित्सालय रतलाम में भ्रुण को प्रिर्जव किया जाकर उसे व आरोपी तथा पीड़िता का ब्लड सेम्पल व अन्य मेडिकल आर्टिकलों को डी.एन.ए.टेस्ट करवाए जाने पर उक्त भ्रूण का आरोपी को जैविक पिता तथा अभियोक्त्री को जैविक माता होना पाया गया.
विवेचना उपरांत अभियोग पत्र 27 अप्रैल 2018 को विशेष न्यायालय में प्रस्तुत किया गया. विशेष न्यायालय में अभियोजन की ओर से कुल 07 साक्षियों की साक्ष्य को अपने समर्थन में परीक्षित कराया गया एवं घटना को प्रमाणित करने हेतु मौखिक, दस्तावेजी एवं वैज्ञानिक साक्ष्य डी.एन.ए. रिपोर्ट तथा लिखित बहस प्रस्तुत कर आरोपी को आरोपित धाराओ में उल्लेखित अधिकतम दंड से दंडित किये जाने के तर्क प्रस्तुत किये गये. न्यायालय द्वारा अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य से घटना को प्रमाणित मानते हुये अभियुक्त श्यामलाल को दोषसिद्ध किया गया.