आर्थिक मंदी और दुनिया भर में अन्य दूसरी समस्या के बीच भारत ने अपना गोल्ड भंडार लगातार बढ़ाना शुरू कर दिया है. यही कारण है कि अब उसने नीदरलैंड को पीछे छोड़ते हुए टॉप 10 देशों में जगह बना ली है. आपको बताते चलें कि गोल्ड को किसी भी देश की मजबूती की निशानी माना जाता है. जिस देश के पास जितना ज्यादा गोल्ड होता है उस देश की करेंसी और वित्तीय सिस्टम भी उतना ही अच्छा माना जाता है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्यों भारत ने अपने देखने का नजरिया बदला है.
कभी सारा गोल्ड रिज़र्व गिरवी रखकर देश की आर्थिक स्थिति संभालने वाला भारत आज धीरे-धीरे अमेरिकी डॉलर से अलग हटकर गोल्ड भंडार की तरफ अपना आकर्षण बढ़ा रहा है. बात करें आंकड़ों की तो भारत ने अपना पैसा सोने के भंडरा को भरने में लगा दिया है. जहां 2021 की दूसरी तिमाही में भारत के पास आधिकारिक तौर पर 705.6 टन का स्वर्ण भंडार था, वो साल 2022 की दूसरी तिमाही में नौ प्रतिशत बढ़कर 768 टन हो गया है.
पिछले दो दशकों में भारत का स्वर्ण भंडार बढ़कर करीब दोगुना हो चुका है. वर्ष 2000 की पहली तिमाही में भारत का गोल्ड भंडार 357.8 टन के स्तर पर था. वहीं जून 2018 में 561 टन देश का सोना भंडार साढ़े 4 सालों में 36.8 % तक बढ़ गया है. आंकड़े बताते हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक ने जुलाई 2021 और जून 2022 के बीच अपने गोल्ड रिज़र्व को बढ़ाने के लिए 63 टन सोना ख़रीदा है. वर्ल्ड गोल्ड कॉउंसिल के आंकड़ों पर नज़र डाले तो भारत पिछले कुछ सालों से अमेरिकी डॉलर से दूर अपने विदेशी मुद्रा भंडार में डाइवर्सिटी लाने की कोशिश कर रहा है. यही एक बड़ा कारण है कि भारत पिछले कुछ सालों से डॉलर के मुकाबले सोने के भंडार को बढ़ाने लगा है.
आपको बताते चलें कि भारत अकेला ऐसा देश नहीं है जो सोने की चमक पर आकर्षित हो रहा है . 2022 की दूसरी तिमाही में ग्लोबल सेंट्रल बैंको ने 180 टन सोना खरीदा है . इस साल के पहले छह महीनों में दुनिया के चुनिंदा केंद्रीय बैंकों द्वारा 270 टन सोना खरीदने की तरफ रूचि दिखाई है .
2022 की पहली छमाही में ही 63 टन के साथ तुर्की इस साल में अब तक का सोने का सबसे बड़ा खरीदार है . वहीं इजिप्ट 44 टन के साथ और इराक 34 टन के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर अभी तक बना हुआ है . WGC के अनुसार, भारत ने H1 के दौरान अपनी खरीदारी जारी रखी है. वहीं भारत में इसी समय में सोने के भंडार में 15 टन की वृद्धि हुई है .
हालांकि आर्थिक मंदी और अन्य समस्याओं के चलते कजाकिस्तान, फिलीपींस और जर्मनी जैसे कुछ देशों ने H1 2022 में अपनी आर्थिक ज़रूरतों के कारण सोने के भंडार को कम कर दिया है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल द्वारा एक वार्षिक केंद्रीय बैंक सर्वेक्षण में पाया गया कि लगभग चौथाई केंद्रीय बैंक अगले 12 महीनों में अपने सोने के भंडार को बढ़ाना चाहते हैं.
विकास की रेस में भागते हुए दुनिया के कई देश मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव और बढ़ती अनिश्चितताओं के समय में एक सुरक्षित शेल्टर के रूप में सोने के भंडार बढ़ाने का विचार कर रहे है. आपको बता दें कि लम्बे समय में किसी भी देश में आर्थिक संकट के दौरान सोने में किया गया इन्वेस्टमेंट इकॉनमी को सम्हालने के लिए एक मज़बूत विकल्प के तौर पर साबित हो सकता है.
यह आश्चर्य की बात नहीं है कि भारत ने दुनिया में सबसे ज्यादा सोने के भंडार वाले शीर्ष 9 देशों में सबसे ज्यादा सोना खरीदा है. 8,133 टन से अधिक भंडार के साथ अमेरिका दुनिया में सोने की होल्डिंग में सबसे ऊपर है. वहीं अमेरिकी गोल्ड रिज़र्व कुल भंडार का 68 % से अधिक है. जर्मनी 3,355 टन से अधिक के साथ दूसरे स्थान पर है जो उसके कुल भंडार का 67 % है.
अगर केवल देशों की लिस्ट के हिसाब से देखा जाए तो भारत टॉप 10 नहीं, बल्कि टॉप 9 देशों में भारत शामिल है. इसका कारण है कि टॉप 10 की लिस्ट में 9 देश शामिल है. और तीसरे नंबर पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) है. इस लिहाज से भारत देशों की लिस्ट में टॉप 9 देशों में शामिल है.
हर देश अपने पास एक अलग स्वर्ण भंडार यानी गोल्ड रिजर्व रखता है. यह गोल्ड भंडार उस देश के केन्द्रीय बैंक के पास होता है. हर देश का एक केन्द्रीय बैंक होता है. भारत का केन्द्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) है. वहीं अमेरिका का केन्द्रीय बैंक फेडरल रिजर्व बैंक है.
केन्द्रीय बैंक यह गोल्ड रिजर्व किसी भी संकट के समय में देश की वित्तीय सुरक्षा के लिए इस्तेमाल करते हैं. केन्द्रीय बैंक के संरक्षण में स्वर्ण भंडार भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच इसे बख्तरबंद तहखानों में रखा जाता है.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के अनुसार अमेरिका के पास इस वक्त सबसे ज्यादा सोने का भंडार है. इस सूची में अमेरिका 8,133.5 टन गोल्ड के साथ टॉप पर है. अगर देखा जाए तो अमेरिका के पास भारत से करीब 13 गुना ज्यादा गोल्ड है. यही नहीं अमेरिका के पास दूसरे नंबर के देश जर्मनी से भी करीब दोगुने से ज्यादा सोना है.