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World Population Day 2025: भारत में बच्चों की संख्या और शिक्षा की स्थिति कितनी बेहतर है?
Mega Daily News July 11, 2025 09:51 AM IST

World Population Day 2025: डिजिटल युग में भारत में आज भी बच्चों का स्कूल न जाना बड़ी समस्या बनी हुई है। देश में किशोरावस्था में स्कूल छोड़ने वालों की संख्या सबसे अधिक है। आज वर्ल्ड पॉपुलेशन डे है। यह दिन साल 1987 में पहली बार मनाया गया था। यह दिन इसलिए शुरू किया गया था कि उस वर्ष दुनिया की जनसंख्या 5 अरब हो गई थी। इस साल की थीम है  “युवा लोगों को एक निष्पक्ष और आशापूर्ण विश्व में अपने मनचाहे परिवार बनाने के लिए सशक्त बनाना” है।

देश की कुल जनसंख्या आज की तारीख में 146 करोड़ रुपये है। इस प्रकार जनसंख्या के मुताबिक भारत सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया है। इनमें  बच्चों की जनसंख्या 24% हिस्सा है। UNFPA की रिपोर्ट के आधार पर यह संख्या 35.13 करोड़ है। भारत में बच्चों की जनसंख्या को मद्देनजर रखते हुए सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर क्या इन सभी बच्चों को सही शिक्षा मिल रही है या नहीं।

देश में शिक्षा का स्तर क्या है?

हालांकि, भारत में साक्षरता दर 77.7 है। यहां केरल को सबसे शिक्षित राज्य माना जाता है। मगर इसके बावजूद भी देश में शिक्षा सभी बच्चों तक नहीं पहुंच रही है। इसका कारण क्या है यह समझना जरूरी है क्योंकि 21वीं सदी में जहां शिक्षा के कई माध्यम मौजूद है, मगर फिर भी बच्चों को सही शिक्षा न मिलने का कारण क्या है।

शिक्षा न मिलने का कारण

देश में बच्चों को शिक्षा न मिलने के पीछे कई कारण सामने आए हैं। यहां आर्थिक तंगी एक बड़ा कारण है, जिस वजह से आज भी गरीब घरों के बच्चों को शिक्षा सही और पर्याप्त नहीं मिल रही है। आज भी देश के कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां स्कूल उपलब्ध नहीं है। बाल श्रम देश में बढ़ती एक और गंभीर समस्या है, जिसका इलाज ढूंढना जरूरी हो गया है।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो देश में बच्चों को प्राथमिक शिक्षा तो मिल रही है, लेकिन ड्रॉप आउट जो किशोरावस्था में बहुत ज्यादा देखने को मिलती है, सबसे बड़ा कारण है शिक्षा में कमी का। रिपोर्ट्स के अनुसार, 15 से 17 साल की आयु में लड़कियों का ड्रॉपआउट होना सबसे आम है। ये आंध्र प्रदेश, बिहार और  यूपी में सबसे ज्यादा पाया जाता है। इन लड़कियों के स्कूल छोड़ने के कारण स्पष्ट फिलहाल नहीं है मगर कुछ राज्यों में जबरन विवाह भी पढ़ाई पूरी न करने की  वजह बनती है।

सरकारी स्कूलों की भूमिका?

हालांकि, देश में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें व्यापक रूप से काम कर रही है लेकिन फिर भी कई जगहों पर सरकारी स्कूल शिक्षा का माध्यम है लेकिन यहां सुविधाओं की कमी से बच्चों में पढ़ाई न करने या उनके अशिक्षित होने की वजह बनती है।

क्या कोई समाधान है?

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो देश में शिक्षा की कमी महिलाओं में अधिक है, इसलिए इसके समाधान पर काम करना जरूरी हो गया है। इसकी रोकथाम के लिए देश की शिक्षित महिलाएं परिवार नियोजन के बारे में और लोगों को जागरूक कर सकती है। बाल विवाह और कम उम्र में मां बनने की घटनाओं पर नियंत्रण किया जाना चाहिए।

सभी के लिए शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय शिक्षा नीति , मिड डे मिल योजना, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे कैंपेन पर सही से काम हो रहा है या नहीं, इसका ध्यान रखना केंद्र और राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। राज्यों में डिजिटल एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए विकल्प निकालना ताकि देश के ऐसे इलाकों में भी ऑनलाइन शिक्षा मिल सके, जहां इंटरनेट की सुविधा कम है।

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