केस की फाइल के बिना सुप्रीम कोर्ट में पेश होने पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक वकील को जमकर फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि बिना ब्रीफ यानी सारपत्र के वकील वैसा ही होता है, जैसे बिना बैट के सचिन तेंदुलकर. चीफ जस्टिस (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने इस बात का संज्ञान लिया कि वकील मुकदमे की फाइल के बिना पेश हो रहा है और इस चूक के लिए बेंच ने उसे तुरंत फटकार लगाई.
9 नवंबर को संभाला था पद
सीजेआई ने कहा, 'बिना ब्रीफ (सारपत्र) वाला वकील वैसे ही होता है, जैसे बिना बल्ले के सचिन तेंदुलकर. ये खराब लगता है.' सीजेआई ने कहा, 'आप अपने गाउन और बैंड (कॉलर) में हैं, लेकिन आपके पास कोई कागजात नहीं है. आपके पास हमेशा ब्रीफ (सारपत्र) होना चाहिए.' सीजेआई चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर को 50वें चीफ जस्टिस के रूप में पदभार संभाला था और वह 10 नवंबर, 2024 तक इस पद पर रहेंगे. सुप्रीम कोर्ट के जज 65 साल की उम्र में रिटायर होते हैं.
'उम्मीदें हैं लेकिन चमत्कार करने नहीं आया'
इसी हफ्ते की शुरुआत में सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा था, वह जानते हैं कि उनसे काफी उम्मीदें हैं लेकिन वह यहां चमत्कार करने नहीं आए हैं. उन्होंने कहा था कि चीफ जस्टिस के तौर पर वह अपने सहयोगियों को सुप्रीम कोर्ट में देखेंगे और उनके अनुभव और ज्ञान का फायदा उठाएंगे, जिसका पारंपरिक रूप से उपयोग नहीं किया गया है. सीजेआई ने कहा था कि उनका मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के जज जो बार से आए हैं, वे अपने साथ ताजगी लाते हैं और यह बार और बेंच का एक अनूठा संयोजन है जो सुप्रीम कोर्ट में एक साथ आता है.
उन्होंने कहा था, हर दिन मेरा आदर्श वाक्य है कि अगर यह मेरे जीवन का आखिरी दिन होता, तो क्या मैं दुनिया को एक बेहतर जगह के तौर पर छोड़ता. मैं हर दिन खुद से यही पूछता हूं. सीजेआई ने कहा था, 'मेरा मानना है कि मुझे अपने सहयोगियों पर अधिक निर्भर रहना होगा, उनके अनुभव का उपयोग करना होगा और वह अनुभव संस्थान को मजबूत करने में योगदान देगा.