दिल्ली की जवाहर लाल यूनिवर्सिटी में पीएम नरेंद्र मोदी पर बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री पर बवाल हो गया है. इस डॉक्यूमेंट्री को कैंपस में दिखाने पर अड़े जवाहर लाल नेहरू स्टूडेंट्स यूनियन (JNUSU) ने जैसे ही फिल्म का प्रदर्शन शुरू किया, इसी बीच प्रशासन ने बिजली काट दी. जिसके विरोध में JNUSU के समर्थक छात्र हाथों में लाइट लेकर कैंपस में प्रोटेस्ट कर रहे हैं. इसी बीच वहां करीब एक दर्जन पत्थर फेंके गए. ये पत्थर किसने फेंके, ये अभी पता नहीं है. फिलहाल पूरे कैंपस में अंधेरा छाया हुआ है.
वामपंथी संगठनों ने किया विरोध
कैंपस (JNU) में बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री दिखाने पर अड़े कम्युनिस्ट छात्र संगठनों AISA, DSF, SFI और AISF ने इस घटना पर कड़ा विरोध जताया है. इन चारों वामपंथी संगठनों का JNUSU पर दबदबा है. जेएनयू में सक्रिय ऑल इंडिया स्टूडेंट्स असोसिएशन (AISA) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एन. साई बालाजी ने कहा कि प्रशासन की ओर से बिजली काट देने के बावजूद स्टूडेंट्स ने ऑनलाइन एप्लीकेशन के जरिए अपने मोबाइल फोन पर डॉक्यूमेंट्री डाउनलोड करके देखी और उसे अपने दोस्तों में शेयर किया.
बालाजी ने ये भी दावा किया कि यूनिवर्सिटी कैंपस (JNU) में सादी वर्दी में पुलिसवाले घूम रहे हैं और उन पर नजर रख रहे हैं. उनके इस आरोप पर पुलिस की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई.
'औपनिवेशिक मानसिकता की प्रतीक'
इससे पहले सरकार ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर और यूट्यूब को विवादित डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' (India: The Modi Question) के लिंक ब्लॉक करने का निर्देश दिया था. विदेश मंत्रालय ने इस डॉक्यूमेंट्री को प्रोपेगंडा का हिस्सा बताते हुआ खारिज किया था. मंत्रालय ने कहा था कि इस विवादित डॉक्यूमेंट्री में निष्पक्षता का अभाव है और यह औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है. हालांकि विपक्षी दलों ने डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन को अवरुद्ध करने के सरकार के प्रयासों की आलोचना की है.
दो गुटों में बंटे जेएनयू स्टूडेंट्स
इस विवादित डॉक्यूमेंट्री पर जेएनयू (JNU) के छात्र 2 गुटों में बंटे नजर आ रहे हैं. छात्रों का एक गुट डॉक्यूमेंट्री पर सेंसरशिप को अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बताते हुए इसका कड़ा विरोध कर रहा है. वे इसे दक्षिणपंथी राजनीति की तानाशाही करार दे रहे हैं. इस तरह के छात्रों में वामपंथी संगठनों से संबंध रखने वाले स्टूडेंट्स हैं. वहीं दूसरा गुट इसे भारत को बदनाम करने की साजिश बताकर डॉक्यूमेंट्री का विरोध कर रहा है. उनका कहना है कि टुकड़े-टुकड़े गैंग इस विवादित डॉक्टूमेंट्री के जरिए एक बार फिर देश में सांप्रदायिक तनाव फैलाने की साजिश रच रहा है, जिस पर रोक लगनी चाहिए.