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Monday, 16 September 2024

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इस नई तकनीक से पेंशनरों को जीवित होने का प्रमाणपत्र देना आसान होगा

22 November 2022 01:49 AM Mega Daily News
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पिछले साल शुरू की गई भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) की नई तकनीक फेस आथेंटिकेशन चलने-फिरने में असमर्थ बुजुर्गों और 80 साल से अधिक उम्र के सामान्य बुर्जुगों के लिए जीवित होने का प्रणाम देना आसान कर दिया है। इसके माध्यम से एक एप के सहारे बुजुर्ग घर बैठे अपने जीवित होने का प्रमाण बैंक को दे सकते हैं। पहले इसके लिए उन्हें बैंक जाना अनिवार्य था। इस महीने विशेष अभियान में अब तक लगभग तीन लाख बुर्जुग फेस आथेंटिकेशन के माध्यम से जीवित होने का प्रमाण दे चुके हैं। ध्यान देने की बात है कि पेंशन जारी रखने के लिए सेवानिवृत कर्मचारियों के हर साल जीवित होने का प्रमाण देना होता है।

प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर 2014 में ही पेंशनधारियों को राहत देने के लिए डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसके लिए बैंकों में फिंगरप्रिंट और आइरिस बायोमैट्रिक के जरिये पेंशनधारियों के जीवित होने का प्रमाण लिया जाता था। 2014 के पहले डाक्टर से यह प्रमाण पत्र बनवाकर देना पड़ता था। लेकिन 2020 में कोरोना महामारी के बाद बुजुर्गों के लिए अत्यधिक खतरे को देखते हुए डाक विभाग के कर्मचारियों के माध्यम से फिंगरप्रिंट और आइसिर जुटाने का काम किया गया।

लेकिन फिंगरप्रिंट लेने में भी कोरोना संक्रमण की आशंका को देखते हुए यूआइडीएआइ ने फेस आथेंटिकेशन की नई तकनीक विकसित की है। जितेंद्र सिंह के अनुसार इस साल एक नवंबर से 30 नवंबर तक केंद्र सरकार के पेंशनधारियों के लिए डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट जारी करने का विशेष अभियान चलाया गया, जिनमें लगभग 25 लाख डिजिटल सर्टिफिकेट अभी तक जारी किये जा चुके हैं, इनमें लगभग तीन लाख फेस आथेंटिकेशन तकनीक के सहारे किये गए हैं।

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