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सुप्रीम कोर्ट ने शरद यादव से बंगला खाली कराया, बंगला खाली करने की ये है असली वजह
Mega Daily News June 01, 2022 10:13 AM IST

सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई हार जाने के बाद आखिरकारी समाजवादी नेता शरद यादव (Sharad Yadav) को दिल्ली के आलीशान बंगले को छोड़ने को मजबूर होना पड़ा. राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हो जाने के बावजूद वे बंगले पर कब्जा बनाए हुए थे. सरकार की ओर से नोटिस मिलने के बाद वे बंगला बचाने के लिए पहले हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे लेकिन दोनों जगह उन्हें हार झेलनी पड़ी. आखिर में उन्हें बंगले को खाली करने को विवश होना पड़ा

इस घर से मेरी कई यादें जुड़ीं: शरद यादव

शरद यादव (Sharad Yadav) पिछले 22 सालों से 7, तुगलक रोड वाले सरकारी बंगले में रह रहे थे. मंगलवार को सरकारी आवास को छोड़ते वक्त शरद यादव ने कहा कि इस घर से कई लड़ाइयां लड़ी गई हैं. यहां पर कई सारी यादें जुड़ी हैं. शरद यादव की बेटी सुभासिनी अली ने एक ट्वीट में कहा, 'तुगलक रोड पर 23 साल की सफल यात्रा को समाप्त करते हुए 48 साल के शुद्ध, समर्पित और निस्वार्थ योगदान समाज के उत्थान के लिए रहा. अब नई शुरूआत की प्रतीक्षा में.'

वर्ष 2017 में राज्यसभा की गई सदस्यता

JDU में अंदरूनी विवाद और मतभेद के बाद शरद यादव (Sharad Yadav) को दिसंबर 2017 में राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. हालांकि, उन्होंने अपनी अयोग्यता को हाई कोर्ट में चुनौती दे रखी है. मामला फिलहाल हाई कोर्ट में लंबित है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार के साथ राजनीतिक मनमुटाव के चलते शरद यादव ने 2018 में जेडीयू से अलग होकर लोकतांत्रिक जनता दल नाम से अपनी अलग राजनीतिक पार्टी का गठन किया था. बाद में इस पार्टी का विलय उन्होंने राजद में कर दिया था.

बंगले पर कब्जा करने में नहीं हो पाए सफल

शरद यादव (Sharad Yadav) ने आखिरी वक्त तक बंगले पर कब्जा बनाए रखने की कोशिश की. दिल्ली हाईकोर्ट ने 15 मार्च को उन्हें 15 दिनों के अंदर बंगला खाली करने का आदेश दिया था. इस आदेश पर अमल करने के बजाय वे सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए और अदालत से गुहार लगाई कि उन्हें बंगले में रहने दिया जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद उनकी अर्जी खारिज कर दी. कोर्ट ने उन्हें 31 मई तक हर हालत में बंगला खाली करने का आदेश दिया था. इसके बाद शरद यादव के पास बंगला खाली करने के अलावा कोई और चारा नहीं था.

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