देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल से भारत तेजी से आत्मनिर्भर होने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए सरकार तेजी से कदम उठा रही है. वैकल्पिक ऊर्जा के तौर पर ग्रीन हाइड्रोजन पर निर्भरता बढ़ाने की बात हो रही है. इसके अलावा पारंपरिक इस्तेमाल होने वाले पेट्रोल और डीजल में 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग की बात की जा रही है. वर्तमान समय में एथेनॉल को 'भारत का अमृत' कहा जा रहा है. ईंधन में इसे मिलाने पर कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सकता है और इंधन के लिए विदेशों पर निर्भरता भी कम होगी.
चीनी व्यापार होगा फिर से जिंदा
एक्सपर्ट्स बता रहे हैं कि अगर भारत एथेनॉल के पर्याप्त प्रोडक्शन में सफल हो जाता है तो भारत में चीनी व्यापार को फिर से जिंदा किया जा सकता है और इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था फिर से मजबूत हो जाएगी. भारत एक कृषि प्रधान देश है इसलिए एथेनॉल के लिए कच्चे मटेरियल की यहां कोई कमी नहीं है. गन्ना उत्पादन के जरिए कई दूसरे प्रोडक्ट भी बनाए जा सकते हैं. महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश गन्ना उगाने के मामले में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं. अगर देश में एथेनॉल का अधिक उत्पादन होता है तो इससे रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ेंगे और गांवों से होने वाला पलायन भी धीरे-धीरे बंद होने लगेगा.
रिवर्स माइग्रेशन से होगा फायदा
रोजगार की व्यवस्था गांव में मिले तो आगे चलकर रिवर्स माइग्रेशन भी देखने को मिलेगा जिससे शहरों से आबादी धीरे-धीरे कम भी हो सकती है. वर्तमान समय में भारत विदेशों से भारी मात्रा में कच्चा तेल आयात करता है. अगर 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग के साथ ईंधन का इस्तेमाल किया जाए तो कच्चे तेल के लिए विदेशों पर निर्भरता कम होगी और ढेर सारा विदेशी मुद्रा भंडार बचेगा. एथेनॉल मिक्स ईंधन कार्बन की मात्रा को धीरे-धीरे काम करेगा और नेट जीरो को हासिल करने में मदद भी करेगा.