पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव (Sharad Yadav) का निधन हो गया है. गुरुग्राम (Gurugram) के अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली. शरद यादव की बेटी सुभाषिणी यादव ने बीती रात 10 बजकर 48 मिनट पर ट्वीट कर जानकारी दी कि पिता का निधन हो गया है. जानकारी के मुताबिक, शरद यादव ने गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस ली. शरद यादव को पिछड़ों की राजनीति का चैंपियन माना जाता था. लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब उन्होंने धुरविरोधी राष्ट्रवादियों और समाजवादियों को एक करने का काम किया. आइए शरद यादव के राजनीतिक जीवन के इस पहलू के बारे में जानते हैं.
75 साल की उम्र शरद यादव का निधन
जान लें कि शरद यादव की तबीयत पिछले काफी दिनों से खराब चल रही थी. बताया जा रहा है कि गुरुवार देर शाम उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई. उसके बाद उन्हें गुरुग्राम के फोर्टिंस अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका निधन हो गया. शरद यादव के निधन से बिहार समेत देश के राजनीतिक गलियारे में शोक की लहर दौड़ गई है. 75 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया से विदा ले ली.
गैर-कांग्रेसवाद के कट्टर समर्थक
गौरतलब है कि शरद यादव ने बिहार के मधेपुरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चार बार चुनाव जीता था. वो दो बार मध्यप्रदेश के जबलपुर से सांसद चुने गए. इसके अलावा वो उत्तर प्रदेश के बदायूं से भी सांसद चुने गए थे. शरद यादव गैर-कांग्रेसवाद के कट्टर समर्थक थे.
जब राष्ट्रवादियों-समाजवादियों को किया एक
बता दें कि साल 2008 में उन्होंने बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance) के संयोजक के रूप में जिम्मेदारी संभाली. अगले 5 साल तक वो इस पद पर रहे और राष्ट्रवादी बीजेपी व समाजवादी विचारों वाली जेडीयू को एक गठबंधन में जोड़े रखा. हालांकि, 2013 में जब जेडीयू, एनडीए से अलग हुई तो शरद यादव ने संयोजक के पद से इस्तीफा दे दिया था.
शरद यादव के निधन पर तमाम बड़े नेताओं ने शोक व्यक्त किया है. पीएम मोदी ने भी उनके निधन पर शोक जताया. इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह और बिहार के सीएम नीतीश कुमार समेत कई राजनेताओं ने शरद यादव के निधन पर संवेदना जताई.