इंसान अपने रोजमर्रा की जिंदगी में ऐसे कई सामान का इस्तेमाल करता है, जिनके बिना किसी काम को करने में घंटों का समय लग जाए. इन छोटे-छोटे सामानों का इस्तेमाल करके आपके घंटों का काम मिनटों में हो जाता है. ऐसी ही एक छोटी सी चीज ब्लेड हैं. इसका इस्तेमाल सेविंग के लिए किया जाता है. ब्लेड का इस्तेमाल ज्यादातर घरों में किया जाता है. ज्यादातर कंपनियों के ब्लेड आपको एक जैसे दिखाई देते हैं. अगर उन पर कंपनियों के लोगो (LOGO) की प्रिंटिंग छोड़ दी जाए तो सभी ब्लेड लगभग एक जैसे ही होते हैं.
क्यों होती है खाली जगह?
सेविंग के लिए ब्लेड का इस्तेमाल 19वीं सदी के दौरान शुरू हुआ था और इन ब्लेड को बार-बार पैना करने की जरूरत होती थी. ब्लेड बनाने वाली दिग्गज कंपनी किंग कैंप जिलेट (King Camp Gillette) ने इसे पैटर्न को समझ लिया था. उस दौरान लोहे का व्यापार करने वाली इस कंपनी के दिमाग में एक आइडिया आया जिसमें कंपनी ने कैसी चीज बनाने पर जोर दिया जिसे एक बार इस्तेमाल करने के बाद फेंकना पड़ जाए. यहीं से जिलेट को रेजर और ब्लेड बनाने का ख्याल दिमाग में आया. 19वीं शताब्दी तक जिलेट इकलौती कंपनी थी जो ब्लेड बनाया करती थी. इस दौरान ब्लेड को रेजर पर बोल्ट के जरिए फिट करना पड़ता था और ब्लेड इधर-उधर ना जाए इसके लिए रेजर में खास डिजाइन बनाया गया और इस डिजाइन पर फिट होने के लिए ब्लेड में भी खास तरह के पैटर्न बनाए गए.
कंपनी को हुआ खूब मुनाफा
लोहे का व्यापार करने वाली कंपनी जिलेट को रेजर और ब्लेड बनाकर जबरदस्त मुनाफा हुआ. आपको जानकर हैरानी होगी कि साल 1904 के अंत तक कंपनी ने करीब 90 हजार रेजर और 1 करोड़ 24 लाख ब्लेड बनाकर बेचा थे. इस काम में मुनाफे को देखते हुए बाकी कंपनियों ने भी ब्लेड बनाने का काम शुरू किया लेकिन उन्होंने रेजर के डिजाइन में कोई परिवर्तन नहीं किया इसलिए आज भी ज्यादातर ब्लेड्स में यही डिजाइन देखने को मिलता है.