पिछले साल यानि 2021 में 28 जुलाई के दिन भी अमरनाथ गुफा के लोवर केव के इसी जगह पर बाढ़ आई थी. लेकिन उस वक्त कोविड के कारण यात्रा बंद होने की वजह से किसी भी तरह के जानमाल का नुकसान नहीं हुआ.
अमरनाथ गुफा के पास आई बाढ़ और उससे हुई त्रासदी के बाद इस हादसे को लेकर कई बड़े सवाल उठने लगे हैं. जिसमें सबसे अहम सवाल ये कि जब पिछले साल भी लोवर केव के इसी जगह पर बाढ़ आई थी तो उससे सबक क्यों नहीं लिया गया? इस बार भी वहीं कैंप और टेंट लगाने का फैसला क्यों लिया गया? पिछले साल कोविड के कारण अमरनाथ यात्रा बंद थी, इस वजह से बाढ़ आने पर कोई नुकसान नहीं हुआ. लेकिन कोविड काल के बाद इस साल खोली गई अमरनाथ यात्रा पर ये बाढ़ बहुत भारी पड़ी. जिसने 16 लोगों की जान ले ली और अभी भी 40 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं.
पिछले साल यानि 2021 में 28 जुलाई के दिन भी अमरनाथ गुफा के लोवर केव के इसी जगह पर बाढ़ आई थी. लेकिन उस वक्त कोविड के कारण यात्रा बंद होने की वजह से किसी भी तरह के जानमाल का नुकसान नहीं हुआ. उस दिन भी भारी बारिश ने उस क्षेत्र में सुरक्षाकर्मियों द्वारा लगाए गए कैंपों को उजाड़ दिया था. लेकिन गनीमत की बात ये रही कि किसी को चोट नहीं आई.
एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अमरनाथ यात्रा पर गए तीर्थयात्रियों के लिए टेंट, फ्लड चैनल पर लगाए गए थे. फ्लड चैनल यानी वहां के लोवर केव का वो इलाका जो सूखी नदी के तल के रूप में जाना जाता है. रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि इसी जगह पर लंगर चलाने की अनुमति भी दी गई थी.
इस पूरी रिपोर्ट को लेकर एक सरकारी सूत्र ने ये बताया कि बरसात के मौसम में ऊपर यानी गुफा के पास उस जगह इस तरह की बारिश होना और वहां से बाढ़ के पानी का बहना एक सामान्य बात है. ऐसी स्थिति में बाढ़ के खतरे का होना भी कोई असामान्य बात नहीं है. लेकिन इन सभी बातों और संभावित खतरों का अनुमान होने के बावजूद भी यहां कैंप और लंगर लगाने की अनुमति दी गई. तो इसका मतलब है कि प्लानिंग के लेवल पर चीजें ठीक से तय नहीं की गईं.