पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध लगाने की अपनी अधिसूचना में, गृह मंत्रालय (एमएचए) ने कई हत्याओं और क्रूर हमलों को वजह के रूप सूचीबद्ध किया है। इसमें कहा गया है कि कट्टरपंथी संगठन के कैडरों ने “शांति भंग करने और लोगों के मन में आतंक का शासन पैदा करने” के लिए किया था।
मंगलवार की अधिसूचना में सामने आए केरल के मामलों के बारे में, मंत्रालय ने कहा, “पीएफआई के आपराधिक हिंसक कृत्यों में एक कॉलेज के प्रोफेसर का अंग काटना, अन्य धर्मों को मानने वाले संगठनों से जुड़े व्यक्तियों की निर्मम हत्याएं, विस्फोटक प्राप्त करना, प्रमुख लोगों और स्थानों को टारगेट करना तथा सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करना आदि शामिल हैं।” अधिसूचना में यह भी उल्लेख किया गया है कि तमिलनाडु में हिंदू मुन्नानी नेता सी शशिकुमार (2016) और पट्टाली मक्कल काची के वी रामलिंगम (2019) की दो हत्याएं हैं।
न्यूमैन कॉलेज, थोडुपुझा के प्रोफेसर टीजे जोसेफ पर हमला पीएफआई से जुड़े सबसे चौंकाने वाले अपराधों में से एक था। यूसुफ पर आरोप था कि उन्होंने परीक्षा के लिए जो पेपर सेट किया था उसमें कथित तौर पर पैगंबर का अपमान किया गया था। इसके लिए पुलिस ने जोसेफ को गिरफ्तार भी किया था, लेकिन कुछ महीनों बाद जब वह जमानत पर छूट कर बाहर आए तो 4 जुलाई, 2010 को पीएफआई सदस्यों के एक गिरोह ने उनकी कार को रोका, उन्हें बाहर निकाला और उसके परिवार के सदस्यों के सामने ही उनकी दाहिनी हथेली काट दी। उन्हें पहले भी कई लोग धमकियां दे रहे थे, लेकिन उनके पास कोई सुरक्षा नहीं थी।
अलाप्पुझा के वायलार के मूल निवासी आरएसएस कार्यकर्ता नंदू आर कृष्णा की 24 फरवरी, 2021 को पीएफआई के लोगों के एक गिरोह ने हत्या कर दी थी। आरएसएस और पीएफआई के लोगों के बीच झड़प के बाद उनकी हत्या कर दी गई थी। झड़प से कुछ दिन पहले, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कासरगोड में एक भाजपा की रैली में भाग लिया, जहां उन्होंने कहा कि इस्लामी आतंकवाद केरल के लिए खतरा है। जब पीएफआई-एसडीपीआई के लोगों ने भड़काऊ नारे लगाए और आरएसएस के लोगों ने उनका विरोध किया तो झड़प शुरू हो गई। इस घटना में आरएसएस के तीन अन्य लोग घायल हो गए।