भारत में तमाम मुस्लिमों के लिए आज की रात खुशी की रात है. देश में कल यानी 3 मई को ईद का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा. इसी की तैयारियां पूरे देश में जोर शोर से चल रही हैं. कई दिनों से ईद की तय तारीख को लेकर कयास लगाए जा रहे थे. दरअसल यह तारीख भी फिक्स नहीं होती. आइए जानें कि ईद कैसे तय मानी जाती है.
ईद मनाने की तारीख चांद दिखने के हिसाब से तय होती है. जिस दिन चांद दिखता है उस दिन को चांद मुबारक कहा जाता है. ईद उल फितर के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर नमाज अदा करते हैं. इसके बाद एक दूसरे को बधाईयां देने के साथ ईद का आगाज होता है.
इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक शव्वाल महीने के पहले दिन ईद अल फित्र (Eid 2022) मनाया जाता है. यह हिजरी कैलेंडर का दसवां महीना होता है. चांद आधारित कैलेंडर में यह दिन हर साल 10-11 दिन बढ़ जाता है. ईद का त्यौहार रमजान के महीने के खत्म होने के बाद मनाया जाता है. मुसलमानों में रमजान का महीना सबसे पाक यानी पवित्र माना जाता है.
इस्लामिक किस्सों के अनुसार मुहम्मद साहब जब मक्का से मदीना लौटे थे तो हिजरी कैलेंडर की शुरुआत हुई थी. उन्होंने चांद के नजर आने और गायब होने पर महीनों और दिन का हिसाब तय किया था. यह आधिकारिक तौर पर खलीफा उमर इब्न अल खताब के समय में शुरू हुआ था. बता दें कि मुहम्मद साहब 622 ईसवी में मक्का से मदीना गए थे और तब ही इस कैलेंडर की शुरुआत हुई थी. मक्का से अलगाव या हिज्र की वजह से इसका नाम हिजरी कैलेंडर(Gregorian Calendar) रखा गया था.
रमजान के महीने में सभी मुसलमान 30 दिन रोजा रखकर ऊपर वाले से बरकत के लिए दुआ मांगते हैं. इसके बाद इस महीने को विदा किया जाता है. जिस दिन गल्फ देशों में चांद दिखता है उसके अगले दिन भारत में ईद मनाई जाती है. मुस्लिम कैलेंडर के हिसाब से ईद(Eid 2022) में चांद देखने को इतना महत्व दिया होता है.