इस समय इंटरनेट पर सबसे ज्यादा सुर्खियां ट्विटर का ब्लू टिक (Twitter Blue Tick) बटोर रहा है. एक तरफ जहां ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क 8 डॉलर प्रति माह में किसी भी यूजर को ब्लू टिक देने की बात कह रहे हैं तो दूसरी तरफ कई ऐसे लोग हैं जो अपनी आपबीती भी बता रहे हैं कि कैसे एक अदद ब्लू टिक के लिए उनसे लाखों रुपये मांगे गए थे. ट्विटर पर एक व्यक्ति ने एलन मस्क को बताया कि उसके एकाउंट को वेरीफाई करने के ऐवज में उससे 15 हजार डॉलर यानी 12 लाख रुपये मांगे गए थे. इस मुद्दे की जांच होनी चाहिए.
भ्रष्टाचार पर एलन मस्क ने कहा- हां
एलन मस्क ने "हां" में जवाब देकर ट्विटर के पलटफॉर्म पर ब्लू टिक (Twitter Blue Tick) वाली घूस के आरोपो पर मुहर लगा दी. हालांकि यह स्थिति सिर्फ अमेरिका में नहीं थी, भारत में ट्विटर पर ब्लू टिक के एवज में लाखों रुपये मांगे जाते थे. भारत सरकार की ओर से विकसित किए जा रहे NHEV (National Highways for Electronic Vehicles) के प्रोग्राम निदेशक का अतिरिक्त प्रभार संभालने वाले अभिजीत सिन्हा ने बताया कि साल 2020 में उनके ट्विटर एकाउंट को वेरीफाई करवाने के एवज में 4 लाख 95 हज़ार रुपये मांगे गए थे.
भारत में भी ट्विटर ने की मनमानी
अभिजीत सिन्हा के मुताबिक साल 2020 में तत्कालीन CDS जनरल बिपिन रावत उनके एक कार्यक्रम में आये थे लेकिन ट्विटर पर लोगों ने जनरल रावत को ट्रोल करना शुरू कर दिया कि वो एक चीनी कम्पनी के प्रोग्राम में गए हैं. जिसके बाद अभिजीत सिन्हा की मीडिया टीम ने उन्हें सलाह दी कि वो अपने ट्विटर एकाउंट को वेरीफाई करवा लें ताकि लोगों का भ्रम दूर हो जाए, लेकिन जब उन्होंने वेरिफिकेशन के लिए अप्लाई किया तो उनकी रिक्वेस्ट रिजेक्ट कर दी गई. इसके बाद एक पीआर टीम ने उनकी टीम से सम्पर्क साधा और ब्लू टिक (Twitter Blue Tick) के एवज में 4 लाख 95 हजार रुपये की मांग की.
ब्लू टिक देने में चलाई गई मनमर्जी
ट्विटर ने फर्जी एकाउंट्स की रोकथाम के लिए साल 2009 में वेरिफिकेशन का फीचर लांच किया था लेकिन 2016 में ट्विटर ने ब्लू टिक वेरिफिकेशन को होल्ड पर डाल दिया था, जो कि साल 2021 तक 5 सालों तक होल्ड पर रहा. लेकिन 5 वर्षो में भी हज़ारो एकाउंट्स पर ब्लू टिक लगता रहा. साइबर एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ पवन दुग्गल के मुताबिक ट्विटर का ब्लू टिक (Twitter Blue Tick) हमेशा से एक Opaque व्यवस्था रही है. जिसमे किसी एकाउंट को ट्विटर अपनी मर्ज़ी से ब्लू टिक दे देता है, तो किसी को ब्लू टिक देने से मना कर देता है.
क्या मामले की जांच करवाएंगे मस्क?
पवन दुग्गल के मुताबिक जिन 5 सालों में ट्विटर ने वेरिफिकेशन सिस्टम को होल्ड पर डाल रखा था उन सालों में कई एकाउंट तो ब्लू टिक के साथ ही अस्तित्व में आए थे. ऐसे में एलन मस्क की पहले ब्लू टिक (Twitter Blue Tick) के लिए घूस वाली बात को स्वीकारने के बाद अब ट्विटर को इस पूरे मामले की जांच करनी चाहिए और लोगों को बताना चाहिए कि आखिर कितने एकाउंट को ब्लू टिक लाखों रुपये की घूस के तहत मिलता था. हालांकि इस घूसकांड पर एलन मस्क कोई कार्रवाई करेंगे, इसकी संभावना कम ही है.