समाजवादी पार्टी के नेता और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य के एक बयान पर बवाल मच गया है. उन्होंने रामचरितमानस को लेकर विवादित दिया है. उन्होंने कहा है कि तुलसीदास की रामायण को प्रतिबंधित करना चाहिए. जिस दकियानूसी साहित्य में पिछड़ों और दलितों को गाली दी गई हो उसे प्रतिबंधित होना चाहिए. स्वामी प्रसाद मौर्य ने आगे कहा, अगर सरकार तुलसीदास की रामायण को प्रतिबंधित नहीं कर सकती तो उन श्लोकों को रामायण से निकालना चाहिए.
स्वामी प्रसाद ने कहा कि कई करोड़ लोग रामचरितमानस नहीं पढ़ते. सब बकवास है. अपनी खुशी के लिए तुलसीदास ने यह लिखा है. स्वामी प्रसाद इतने पर ही नहीं रुके. उन्होंने कहा कि सरकार को इस पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए. सपा नेता ने विवादित टिप्पणी करते हुए कहा कि तुलसीदास की रामायण में कुछ ऐसे अंश हैं, जिन पर हमें आपत्ति है. किसी भी धर्म में किसी को गाली देने का हक नहीं है. तुलसीदास की रामायण में चौपाई है. इसमें वह शुद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं.
आगे स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, ब्राह्मण भले ही दुराचारी, लंपट, अनपढ़ या गंवार हो, लेकिन वह ब्राह्मण है तो उसे पूजनीय कहा गया है. मगर शुद्र कितना भी पढ़ा-लिखा या फिर ज्ञानी हो उसका सम्मान मत करिए. क्या यही धर्म है? अगर धर्म यही है तो ऐसे धर्म को मैं नमस्कार करता हूं. जो धर्म हमारा सत्यानाश चाहता है, ऐसे धर्म का सत्यानाश हो. मौर्य ने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री को लेकर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि धर्म के ठेकेदार ही धर्म का सौदा कर रहे हैं, यह देश का दुर्भाग्य है. समाज सुधारकों की कोशिशों से ही देश आज तरक्की की राह पर है. लेकिन दकियानूसी सोच वाले बाबा समाज में अंधविश्वास, ढकोसला और रूढ़िवादी परंपराओं को फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. मौर्य ने तंज कसते हुए कहा कि अगर बाबा के ही पास सारी बीमारियों का इलाज है तो सरकार ने बेकार में ही अस्पताल और मेडिकल कॉलेज चला रही है.