कहते हैं कि दिल्ली की कुर्सी का रास्ता यूपी से होकर ही गुजरता है. इस बीच, समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने साल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है. सपा ने खास रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. लेकिन सपा और उसके चीफ अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के लिए सबसे बड़ा चैलेंज बीजेपी का MY समीकरण बना हुआ है. बीजेपी का MY समीकरण यानी मोदी-योगी की जोड़ी से पार पाना अखिलेश के लिए बड़ी चुनौती है. हालांकि, अखिलेश यादव ऐलान कर चुके हैं कि उनकी पार्टी सपा राज्य की सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वह खुद भी लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं. आइए जानते हैं कि बीजेपी के एमवाई समीकरण से निपटने के लिए सपा किस रणनीति पर काम कर रही है.
अखिलेश यादव ने किया ये बड़ा ऐलान
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आजमगढ़ में कहा कि सपा और उसका गठबंधन यूपी में 80 की 80 लोकसभा सीटें लड़ेगा. मैनपुरी उपचुनाव में बीजेपी की जो हार हुई, उसका आकलन वह अभी तक नहीं कर पाई है. 2024 लोकसभा चुनाव के लिहाज से अखिलेश का ये बयान काफी अहम माना जा रहा है.
शिवपाल के आने से क्या होगा फायदा?
बता दें कि सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव साथ आ चुके हैं. शिवपाल यादव को पार्टी संगठन के काम का लंबा अनुभव है. अखिलेश इसका फायदा ले सकते हैं. सपा का साथ ओपी राजभर की पार्टी एसबीएसपी और निषाद पार्टी छोड़ चुकी है, उनकी भरपाई और अन्य छोटे दलों से संपर्क साधने के लिए अखिलेश, शिवपाल की मदद ले सकते हैं.
बीजेपी के MY समीकरण का कैसे करेगी सामना?
बीजेपी के एमवाई समीकरण को चुनौती देने के लिए पश्चिमी यूपी में मजबूत राष्ट्रीय लोकदल और चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी पर ध्यान केंद्रित किए हुए है. समाजवादी पार्टी तमाम एंटी बीजेपी छोटे दलों को साथ लेकर लोकसभा चुनाव 2024 में उतर सकते हैं. हालांकि, सपा के पास बीजेपी जितनी बड़ी संगठनात्मक मशीनरी नहीं है. जहां बीजेपी के पास नेताओं के नाम पर कई बड़े चेहरे हैं, वहीं सपा एक ही नेता के नाम पर चुनाव लड़ती है.