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Political News / गहलोत के तीखे बयानों ने आहत सचिन पायलट ने चला बड़ा दांव, CM बदलने के लिए सुझाया 'पायलट' फॉर्मूला

गहलोत के तीखे बयानों ने आहत सचिन पायलट ने चला बड़ा दांव, CM बदलने के लिए सुझाया 'पायलट' फॉर्मूला
Mega Daily News November 26, 2022 11:33 AM IST

हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत के तीखे बयानों ने आहत सचिन पायलट (Sachin Pailot) ने कांग्रेस आलाकमान पर एक बार फिर मुख्यमंत्री बदलने के लिए दबाव बनाना तेज कर दिया है. इस बीच राजस्थान कांग्रेस संकट को लेकर पार्टी के सीनियर नेता केसी वेणुगोपाल को राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा तक राजनीतिक संघर्ष विराम सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है.

आलाकमान की मुसीबत बना मामला

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा दिसंबर के पहले हफ्ते में राजस्थान पहुंचेगी. इससे पहले, सीएम गहलोत और सचिन पायलट के बीच राजनीतिक लड़ाई पार्टी के लिए सिरदर्द बन गई है. सूत्रों के मुताबिक संकट के वर्तमान हालातों से निपटने के लिए पार्टी संगठन के महासचिव केसी वेणुगोपाल 29 नवंबर को जयपुर जा रहे हैं.

सूत्रों ने ये भी बताया कि इस दौरान वेणुगोपाल गहलोत और पायलट दोनों से अलग-अलग बात कर मसले का हल निकालने की भी कोशिश करेंगे और भारत जोड़ो यात्रा के दौरान किसी भी तरह की बयानबाजी या अनुशासनहीनता से दूर रहने की कड़ी चेतावनी भी देंगे. हालांकि मीडिया से बात करते हुए वेणुगोपाल ने कहा, 'राजस्थान कांग्रेस में कोई संघर्ष नहीं है. पार्टी भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से अपनी ताकत दिखाएगी.'

CM बदलने का पायलट फॉर्मूला!

गहलोत खेमे की तरफ से लगातार हो रहे अपमान के बाद पायलट एक बार फिर से आक्रामक होकर पार्टी आलाकमान पर राजस्थान में सरकार का चेहरा बदलने का दबाव बना रहे हैं. उन्होंने इस बीच आलाकमान से सीएम कैंडिडेट को लेकर कांग्रेस पार्टी के विधायकों के बीच गुप्त मतदान कराने का फार्मूला सुझाते हुए अगले नेता पर फैसला लेने की बात कही है. सूत्रों का दावा है कि पायलट ने यहां तक कह दिया है कि अगर अशोक गहलोत को हटा भी दिया जाता है तब भी सरकार नहीं गिरेगी.

गुजरात में अगले हफ्ते वोटिंग है, गहलोत वहां के प्रभारी हैं. ऐसे में पार्टी न तो राजस्थान की सत्ता, हाथ से फिसलने देना चाहती है और न ही गुजरात को लेकर कोई रिस्क लेना चाहती है. सूत्रों के मुताबिक पार्टी खड़गे गुजरात चुनाव के बाद राजस्थान का मसला सुलझाने के मूड में हैं. यही वजह है कि हाईकमान के दूत के रूप में संगठन के महासचिव को हालात पर काबू पाने और सत्ता संघर्ष की आग बुझाने के लिए जयपुर भेजा जा रहा है.

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