सीमा पर चीन की आक्रमकता के खिलाफ केंद्र सरकार की रणनीति को लेकर कांग्रेस नरेंद्र मोदी सरकार पर लगातार हमलावर है. कांग्रेस का आरोप है कि जिस देश की सेना हमारी सीमा में घुसकर अतिक्रमण करने की कोशिश करती है, हमारी सरकार उसी देश के साथ इंपोर्ट बढ़ा देती है. लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार चीन के साथ इंपोर्ट क्यों बढ़ा रही है, इस पर उसे संसद में श्वेतपत्र पेश करना चाहिए.
चौधरी ने कहा, ‘‘सरकार की मंशा क्या है. हम चाहते हैं कि सरकार इस बाबत सदन में एक श्वेतपत्र पेश करे.’’ उन्होंने कहा कि भारत का अमेरिका के साथ व्यापार घटा है इसके बावजूद सरकार चीन के साथ व्यापार कर उसे लाभ पहुंचाने में लगी है.
उन्होंने कहा, ‘‘जब चीन की सरकार भारत को तबाह करने की कोशिश कर रही है तो चीन की मदद करने की क्या जरूरत है? हम सरकार से इस सवाल का जवाब चाहते हैं. हमारे प्रधानमंत्री चीन को लाल आंखें कब दिखाएंगे.’’
इधर, कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सवाल दागते हुए सरकार से पूछा कि चीन के साथ सीमा विवाद के मुद्दे पर सरकार बहस करने से क्यों भाग रही है. उन्होंने कहा कि ऐसी कौन सी मजबूरी है कि पीएम मोदी चीन के खिलाफ कुछ भी नहीं बोल पा रहे.
उन्होंने कहा, ‘‘सैन्य विशेषज्ञों ने सरकार को चेतावनी दी थी कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 15 क्षेत्रों के नाम बदल दिए हैं, एक गांव बसा लिया है, लेकिन सरकार चुप क्यों है? सरकार की चुप्पी के पीछे क्या कारण है?’’
चुनाव के लिए चीनी कंपनी का हुआ इस्तेमाल?
पवन खेड़ा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, बीजेपी ने उस कंपनी की चुनावों में मदद ली जिसे केंद्र सरकार ने देश के लिए खतरा बताया था. यही नहीं, सीमा से सटे इलाकों में स्मार्ट मीटर लगाने का ठेका भी ऐसी कंपनी को दिया गया जिसे वर्ल्ड बैंक, अमेरिका और यूरोप ने बैन कर दिया था.
उन्होंने कहा कि भारत-चीन सीमा विवाद पर सरकार आंख मूंदकर बैठी है, लेकिन हम आंख नहीं मूंद सकते. अगर हमने आंख मूंद लिया तो बॉडर पर कुछ भी बचने लायक नहीं होगा. पवन खेड़ा ने प्रधानमंत्री को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि चीन के मुद्दे पर सरकार चर्चा तक नहीं करना चाहती. पीएम मोदी का मुंह भी जब खुलता है तो चीन को क्लीनचिट दे देते हैं.
खेड़ा ने कहा कि इससे पहले जब साल 2020 में उन्होंने जो क्लीनचिट दिया, देश उसका भुगतान अभी तक कर रहा है. उन्होंने कहा कि चीन ये समझ गया है कि भारत के पीएम मोदी के लिए उनकी छवि ही सबकुछ है. वो अपनी छवि को सबसे ऊपर मानते हैं.