भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) की नई रिसर्च से यह खुलासा हुआ है कि अस्थमा की एक दवा कोरोना वायरस (Corona Virus) के स्पाइक प्रोटीन को रोकने में कारगर साबित हुई है.
आईआईएससी ने सोमवार को जारी आधिकारिक रिलीज में कहा कि 'मोंटल्यूकास्ट' (Montelukast) नाम की अस्थमा की दवा पिछले 20 साल से बाजार में है और इसका इस्तेमाल अस्थमा, हे फीवर (Hay Fever) और हाइव्स (Hives) से ग्रसित मरीज करते हैं. यह अमेरिका के एफडीए से अप्रूव्ड दवा है.
आईआईएससी की यह रिसर्च (Research) ईलाइफ में प्रकाशित हुई है. रिसर्च के दौरान पता चला कि यह दवा कोरोना वायरस के प्रोटीन एनएसपी1 के एक अंतिम सिरे यानी 'सी टर्मिनल' से मजबूती से जुड़ जाती है. यह उन पहले वायरल प्रोटीन में से एक है, जो मानव शरीर में प्रवेश करता है. यह प्रोटीन राइबोजोम से जुड़ सकता है, जो हमारी रोग प्रतिरोधक सेल्स के अंदर होता है और वायरल प्रोटीन की सिंथेसिस को बंद कर सकता है. इसकी वजह से रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) कमजोर पड़ जाती है. इसी वजह से एनएसपी1 को लक्षित करने से वायरस के कारण होने वाली क्षति को कम किया जा सकता है.
रिसर्चर्स ने एफडीए (FDA) से अप्रूव्ड 1,600 दवाइयों की स्क्रीनिंग की थी ताकि एनएसपी1 से तेज जुड़ने वाली दवा का पता लगाया जा सके. उन्होंने इस तरीके से 12 दवाइयों को शॉर्टलिस्ट किया, जिनमें से मोंटल्यूकास्ट और एचआईवी की दवा साक्वि नाविर (Saquinavir) भी शामिल है. रिसर्च में पाया गया कि यह दवा लंबे समय तक प्रोटीन से जुड़ी रहती है. एचआईवी (HIV) की दवा भी अच्छे से जुड़ती है लेकिन यह प्रभाव देर तक नहीं रह पाता है.