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Wednesday, 11 June 2025

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Health Care Tips : बढ़ती ठंड के कारण खराब हो सकती है आपकी सेहत, हो सकती है यह बड़ी परेशानिया

22 October 2022 12:05 PM Mega Daily News
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हर साल अक्तूबर से नवंबर के बीच सांस जनित रोगों के मामले तेजी से बढ़ने लगते हैं। तापमान तेजी से नीचे जाता है और हवा में पीएम 2.5 तथा पीएम 10 के बढ़ते स्तर के साथ-साथ वाहनों और पटाखों का धुआं स्थिति को गंभीर बना देते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि इसी मौसम में जोड़ों के दर्द की समस्या बढ़ जाती है। हृदय, फेफड़े, उच्च रक्तचाप और त्वचा रोगों से जूझने वालों के लिए शुरुआत से खास ध्यान रखना त्योहार और सर्दियां दोनों को सुकूनमय बना सकता है।

सांस से जुड़ी समस्याएं-

ठंडा मौसम सांस के मरीजों के लिए विशेषरूप से हानिकारक होता है। फेफड़ों से संबंधित रोगों जैसे- ब्रॉन्काइटिस, अस्थमा, एबीपीए, पीएएच और सीओपीडी के लक्षण इस समय और गंभीर बन जाते हैं। इन दिनों घरों में साफ- स्तर पर हो रहे होते हैं, जो माहौल में धूल के महीन कणों को कई गुना बढ़ा देते हैं। पटाखों के धुएं में जिंक, मैग्नीज, सोडियम और लेड जैसे खतरनाक तत्व होते हैं, जो हवा को हानिकारक बना देते हैं। महीन धूल और हानिकारक गैसों से युक्त यह हवा फेफड़ों के गंभीर रोगों से जूझ रहे लोगों को काफी नुकसान पहुंचाती है।

पटाखों से निकलने वाले धुएं में सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा असामान्य रूप से अधिक होती है, जो सांस की नली में प्रवेश कर उसे संकुचित कर देती है। नतीजतन, ब्रॉन्कियल अस्थमा, निमोनिया और साइनोसाइटिस की समस्याएं बढ़ जाती हैं। परिणामस्वरूप, बार-बार सांस फूलना, ऑक्सीजन का स्तर सामान्य से नीचे चले जाने के अलावा अस्थमा अटैक के मामले इस समय बढ़ जाते हैं।

कैसे करें बचाव-
-घर से बाहर निकलते समय एन 95 मास्क लगाएं।

  • घर में साफ-सफाई के दौरान मुंह ढककर रखें।
  • सीने में जकड़न महसूस होने पर सुबह-शाम भाप लें।
  • इन्हेलर, नेबुलाइजर और दवाएं लेने में कोताही न बरतें।
  • दिन में कई बार हल्का गुनगुना पानी घूंट-घूंट करके पिएं, ताकि गले में खराश न हो।
  • यह समय कई तरह के खुशबू वाले पेड़-पौधों का भी होता है। जिन्हें एलर्जी रहती है, वे परागकणों के संपर्क में आने से बचें।

जोड़ों की समस्या-
ठंड का समय जोड़ों की तकलीफ को बढ़ाने वाला होता है। हालांकि जोड़ों के दर्द का मुख्य कारण गठिया होता है, पर ठंड में तापमान कम होने की वजह से मांसपेशियां ऐंठने लगती हैं। जोड़ों में संकुचन और कड़ापन आने लगता है। यही वजह है कि ठंड की शुरुआत होते ही जोड़ों की तकलीफ से जूझ रहे लोगों की समस्याएं बढ़ने लगती हैं।

इस समय फ्रोजन शोल्डर, गर्दन और पीठ दर्द के मामले भी बढ़ जाते हैं। खासकर, महिलाओं में साफ-सफाई, भारी सामान को उठाने में हुई लापरवाही के कारण कंधों में दर्द व मांसपेशियों में खिंचाव की समस्या बढ़ जाती है। त्योहारों की भागदौड़, तनाव और बढ़ा हुआ शारीरिक श्रम हड्डियों व जोड़ों में दर्द के लक्षणों को गंभीर कर देता है।

क्या है बचाव-

  • जिन्हें जोड़ों की समस्या है वे ऐसे काम न करें, जिनसे मांसपेशियों और जोड़ों पर दबाव पड़ता है।
  • जोड़ों को ठंडी व गर्म हवा से बचाएं। साथ ही शुरुआत से ही ठंडे व गर्म पानी की सेंक दें।

त्वचा संबंधी रोग-
मौसम बदलने का सबसे विपरीत प्रभाव त्वचा को झेलना पड़ता है। वातावरण में आई शुष्कता, त्वचा की नमी को छीन लेती है। ऐसे लोग जो पानी कम पीते हैं, उनमें त्वचा की समस्याएं, जैसे शुष्क त्वचा, ऐड़ियां फटना, खुजली, त्वचा का पपड़ी बनकर उतरना आदि खासतौर पर देखने को मिलते हैं। हमारे आस-पास ऐसे अनेक सूक्ष्मजीव हैं, जो ठंड में तेजी से बढ़ने लगते हैं। अल्टरनारिया, पेनिसिलियम, एस्परजिलस और क्लोडोस्पोलियम आदि सूक्ष्मजीव त्वचा रोगों के खतरे को बढ़ा देते हैं। नतीजतन, इस मौसम में सोराइसिस, एग्जिमा, डर्मेटाइटिस और एटोपिक डर्मेटाइटिस व डैंड्रफ के मामले बढ़ जाते हैं।

वातावरण में फैला प्रदूषण भी त्वचा के रोगों को गंभीर बना देता है। हवा में मौजूद नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे हानिकारक प्रदूषक त्वचा के ऊपरी सुरक्षात्मक कवच को नष्ट कर देते हैं। नतीजतन, लगातार प्रदूषित हवा में रहने से त्वचा पर झुर्रिया पड़ना, मुहांसे और पहले से त्वचा की समस्या से जूझ रहे लोगों में लक्षण गंभीर होने लगते हैं।

कैसे करें बचाव-

  • शरीर के सभी अंगों को ढक कर रखें । स्कूटर या बाइक चलाते समय सिर और मुंह को विशेषरूप से कपड़ा रखें।
  • बाहर से आने पर अच्छी तरह साफ पानी से चेहरा धोएं।
  • भरपूर पानी पिएं, ताकि विषैले तत्व शरीर से बाहर निकलते रहें।

इन बातों का भी रखें ध्यान-
-छोटे बच्चों को अकेला न छोड़ें। खासतौर पर जहां निर्माण कार्य हो रहे हैं या फिर पटाखे जलाते समय बड़ों की मौजूदगी व निगरानी जरूरी है।

  • घर में फर्स्टएड बॉक्स जरूर रखें। नियमित ली जाने वाली दवाएं घर में रखें। साथ ही कटने व जलने जैसी स्थितियों में काम आने वाली क्रीम, दवाएं, पट्टी आदि जरूर रखें।
  • सुबह सबसे पहले एक गिलास गुनगुना पानी जरूर पिएं, इससे मेटाबॉलिज्म दुरुस्त रहेगा। दिनभर में भी तरल पदार्थ अधिक लें।
  • जहां तक संभव हो त्योहार के दिनों में नियमित व्यायाम करते रहें। श्वसन क्रियाएं व प्राणायाम करना फेफड़ों को स्वस्थ रखता है।
  • गरिष्ठ मिठाइयों के बजाए छेने की मिठाई को तरजीह दें।
  • आहार में मौसमी फल, छाछ, हरा सलाद और दही अवश्य शामिल करें।
  • चाय, कॉफी व कोल्ड ड्रिंक्स कम लें।
  • शंखासन जैसी योगमुद्रा हमारे पाचन को विशेषरूप से फायदा पहुंचाती हैं।
  • ठंडे मौसम में खट्टे खाद्य पदार्थ जैसे- नींबू , आंवला और संतरा आदि खाएं।
  • बासी और ठंडी चीजों का न करें सेवन। सुबह का नाश्ता जरूर करें।
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