तिल्ली आपकी बाईं पसलियों (Rib cage) के नीचे होता है और आप इसे पेट से जुड़ा हुआ अंग समझ सकते हैं। जब यही तिल्ली बढ़ने लगती है तो इसे तिल्ली की बीमारी (Splenomegaly) या तिल्ली बढ़ने की बीमारी (enlarged spleen or spleen enlargement) कहते हैं। दरअसल, आपको यह जान कर हैरानी हो सकती है कि तिल्ली का काम है ब्लड सेल्स को स्टोर करना और एंटीबॉडी बनाने में मदद करना। इसके अलावा ये एंटीबॉडी को फिल्टर करती और हीमोग्लोबिन में आयरन का रीसाइक्लिंग करती है। ऐसे में जब तिल्ली बढ़ जाती है तो, शरीर की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है और आप आसानी से बैक्टीरियल और वायरल इंफेक्शन के शिकार हो जाते हैं।
तिल्ली की बीमारी के पीछे कई कारण हो सकते हैं। जैसे कि ज्यादा शराब पीने और दूषित भोजन करना, वायरल इंफेक्शन के कारण जैसे मोनोन्यूक्लिओसिस, दिल की अंदरूनी परत में संक्रमण के कारण या एंडोकार्डिटिस के कारण, मलेरिया, लिवर सिरोसिस के कारण, विभिन्न प्रकार के एनीमिया के कारण,मेटाबोलिज्म से जुड़ी बीमारियों के कारण और ऑटोइम्यून स्थितियां, जैसे ल्यूपस की वजह से।
तिल्ली जब बढ़ने लगती है तो ये पेट को दबाने लगती है। इससे ऊपरी पेट में तेज दर्द हो सकता है जो कि बढ़ने पर बाएं कंधे की तरफ भी महसूस होता है। इसकी वजह से आपको अपने शरीर पर ऊपर की तरफ भी दर्द महसूस हो सकता है। क्योंकि ये पसलियों के ऊपर है तो ये दर्द और तेज महसूस हो सकता और लग सकता है कि ये फेफड़ों के आस-पास भी हो रहा हो।
जब तिल्ली बढ़ती है तो आपको थोड़ा सा खाने के बाद ही ऐसा लगता है कि आपका पूरा पेट भर गया हो। इसके अलावा तिल्ली जब बढ़ती जाती है तो ये और अंगों को दबाती है और फिर इसके ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करती है। इससे खाना सही से नहीं पचता है और कब्ज की समस्या होने लगती है। इसके अलावा बाइल जूस के बढ़ने और सही से ना इस्तेमाल होने की वजह से आपको जलन हो सकती है।
एनीमिया में शरीर में खून की कमी हो जाती है। पर जब हम बात तिल्ली बढ़ने की करते हैं तो, तिल्ली जैसे-जैसे बढ़ती है रेड ब्लड सेल्स को खून से बाहर करती जाती है। इससे शरीर में एनीमिया की स्थिति आ जाती है। इससे आपको कमजोरी, थकान, सिर दर्द और चक्कर आने जैसी समस्याएं महसूस हो सकती हैं।