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Earth Day 2022: धरती का तापमान और खतरा, सामने आए चौंकाने वाले कारण
Mega Daily News April 22, 2022 09:09 AM IST

हर साल 22 अप्रैल को अर्थ डे मनाया जाता है, इसका मकसद पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करना है, हमारी कई एक्टिविटीज की वजह से धरती को लगातार खतरा हो रहा है, जिसके बारे में अलर्ट होना जरूरी है, वरना भविष्य में हमारे ग्रह का विनाश तय है. इस मौके पर हम उन 5 चौंकाने वाले फैक्ट्स के बारे में चर्चा करेंगे जिसकी वजह से पर्यावरण को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है.

धरती को क्यों हो रहा है खतरा?

1. फैशन इंडस्ट्री से निकलता है भरपूर कचरा

ग्लोबल फैशन ऐजेंडा और मैनेजमेंट फर्म 'मैकिंसी एंड कंपनी' (McKinsey and Company) के मुताबिक साल 2018 में फैशन इंडस्ट्री 2.1 बिलियन मेट्रिक टन ग्रीन हाउस गैस के इमिशन के लिए जिम्मेदार था जो ग्लोबल आंकड़े का 4 फीसदी हिस्सा है. स्टडी में पाया गया है कि इसके मेटेरियल प्रोडक्शन और प्रोसेसिंग की वजह से ऐसा होता है. अनुमान लगाया गया है कि साल 2030 तक ये आंकड़ा 2.7 बिलियन टन हो जाएगा.

2. फूड सर्विस इंडस्ट्री भी जिम्मेदार

साल 2021 में छपी यूनाइटेड नेशंस इंवारनमेंट प्रोग्राम (United Nations Environment Programme) की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में 931 मिलियन टन फूड से जुड़ा कचरा फेंका गया था जिसमें फूड सर्विस इंडस्ट्री की हिस्सेदारी 26 फीसदी थी. इनमें से ग्लोबल ग्रीन हाउस गैस (Green House Gas) के इमिशन में 10 फीसदी उन फूड्स की हिस्सेदारी थी जिसे खाया नहीं गया था.

3. धरती के ओवरऑल टेम्प्रेचर में इजाफा

इंटरगर्वमेंटल पैनल ऑफ क्लाइमेट चेंज (Intergovernmental Panel on Climate Change) के मुताबिक पिछले 4 दशक में धरती का तापमान पहले के मुकाबले ज्यादा गर्म आंका गया है. ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं, इसका नतीजा ये होगा भविष्य में कई आइलैंड और समुद्र तट पर बसे शहर जलमग्न हो जाएंगे.

4. CO2 का लेवल टॉप पर पहुंचा

कोरोना वायरस महामारी में लगे लॉकडाउन की वजह से भले ही साल 2020 में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का उत्सर्जन कम हुआ हो लेकिन इस साल कार्बन (Carbon) का कंसंट्रेशन अपने टॉप लेवल पर पहुंच गया, ऐसा पिछले 8,00,000 सालों में भी नहीं हुआ. इस बात की पुष्टि 31वें सालाना अमेरिकन मेट्रोलॉजिकल सोसाइटी की रिपोर्ट में की गई.

5. प्लास्टिक वेस्ट से बढ़ी चिंता

यूनाइटेड नेशंस इंवायरनमेंटल प्रोग्राम (United Nations Environment Programme) के मुताबिक दुनिया के सालाना प्लास्टिक वेस्ट (Plastic Waste) का वजन पूरी इंसानी आबादी के भार के बराबार पहुंच चुका है जो कि खतरे की घंटी है. ऐसा अनुमान है कि साल 2050 तक प्लास्टिक का प्रोडक्शन 34 बिलियन टन के करीब पहुंच जाएगा.

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