बिहार में पुल के गिरने और चोरी होने के मामले आम हो गए हैं. बिहार में पुल के गिरने का नया मामला बेगूसराय से आया है जहां बूढ़ी गंडक नदी पर बना पुल उद्घाटन से पहले ही धाराशायी हो गया और नदी के पानी में समा गया. हालांकि, राहत रही कि इस हादसे किसी को चोट नहीं आई. लेकिन पुल के गिरने के साथ ही नीतीश कुमार सरकार के काम को लेकर सवाल उठने लगे हैं. भ्रष्टाचार के प्रति उनकी नीति पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.
इस पुल के गिरने से दो दिन पहले ही लोगों की इस पर आवाजाही को बंद कर दिया गया था. दरअसल, इस पुल में दरार दिख रही थी जिसके बाद लोगों के इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई थी. बेगूसराय के डीएम ने बताया कि पुल को उपयोग के लिए अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था. उन्होंने बताया कि पुल गिरने के कारणों की जांच की जा रही है.
5 साल में नहीं बन सका ये पुल
इस पुल की कहानी बेहद दिलचस्प है. ये एक हाईलेवल आरसीसी पुल था जिसके निर्माण की शुरुआत साल 2016 में हुई थी. इसे अगस्त 2017 तक बनकर तैयार हो जाना था. लेकिन इस पुल का उद्घाटन अभी तक भी नहीं हो पाया है और उससे पहले ही ये टूट गया. इस पुल का निर्माण मुख्यमंत्री नावार्ड योजना के तहत हुआ था, जिसे बनाने में 13.43 करोड़ रुपए का खर्च आया था. इस पुल को आहोक कृति टोल और विष्णुपुर के बीच बनाया गया था.
जानकारी के मुताबिक, पुल तक पहुंचने वाला एप्रोच रोड का निर्माण नहीं हो पाया था फिर लोग किसी तरह इसका इस्तेमाल कर रहे थे. ट्रैक्टर भी इस पुल के रास्ते आवाजाही कर रहे थे. कुछ दिन पहले इसमें दरार दिखी तो इस पर आवाजाही पर रोक लगा दी गई. लेकिन किसे पता था कि ये पुल उद्घाटन से पहले ही पानी में समा जाएगा.
पुल को लेकर लोग सवाल कर रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि इसे बनाने के दौरान नियमों की अनदेखी की गई. लूट के कारण ये पुल भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया. हादसे में मां भगवती कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा तैयार किए गए इस पुल के पिलर नंबर 2 और 3 के बीच का हिस्सा टूटकर गंडक नदी में समा गया.