महाराष्ट्र पुलिस ने 4 मई को मुंबई में होने वाले हंगामे को लेकर एक बड़ी साजिश का खुलासा किया है. पुलिस के अनुसार बुधवार 4 मई को मुंबई में हंगामा करने के लिए और अशांति फैलाने के लिए बाहर से लोग आने वाले थे. इसलिए पुलिस ने मंगलवार को 855 लोगों को धारा 149 के तहत नोटिस दिया है.
इनमें से 465 लोगों को CRPC 144 के तहत 15 दिन के लिए मुंबई से बाहर भेजा गया. वहीं 94 लोगों को CRPC 151 के तहत पुलिस हिरासत में लिया गया है. धारा 153 के तहत 86 लोगों को कोर्ट में पेश किया गया. अब कोर्ट तय करेगी की इनको पुलिस हिरासत में भेजना है या जेल भेजा जाएगा.
उधर, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray) के खिलाफ औरंगाबाद में एक केस दर्ज किया गया है. औरंगाबाद में 1 मई को हुई राज ठाकरे की सभा का वीडियो देखने के बाद MNS प्रमुख और आयोजकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. राज ठाकरे के खिलाफ यह मामला सिटी चौक पुलिस थाने में दर्ज किया गया है.
आपको बता दें कि धार्मिक स्थानों पर लाउडस्पीकर के विरोध में रैली करने का ऐलान किया था. उन्होंने कहा था कि अगर 3 मई के बाद मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं हटे तो वह दोगुनी आवाज में मस्जिद के सामने हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे. हालांकि उन्होंने बाद में रैली को रद्द कर दिया था.
आपको बता दें कि पश्चिमी महाराष्ट्र के सांगली जिले की एक अदालत ने 14 साल पुराने एक मामले में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है. 2008 में भड़काऊ भाषण देने के लिए राज ठाकरे के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 109 और 117 (अपराध के लिए उकसाना) के तहत मामला दर्ज किया गया था.
इस मामले में 6 अप्रैल को गैर-जमानती वारंट जारी करते हुए सांगली जिले के शिराला में न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) ने मुंबई पुलिस आयुक्त को मनसे प्रमुख को गिरफ्तार कर अदालत के सामने पेश करने का निर्देश दिया. सहायक लोक अभियोजक ज्योति पाटिल ने बताया कि न्यायाधीश ने राज ठाकरे और एक अन्य मनसे नेता शिरीष पारकर के खिलाफ मुंबई पुलिस आयुक्त व खेरवाड़ी पुलिस थाने के माध्यम से वारंट जारी किया, क्योंकि वे मामले की सुनवाई के दौरान अदालत में पेश होने में नाकाम रहे थे. पाटिल के मुताबिक, अदालत ने पुलिस को 8 जून से पहले वारंट की तामील करने और दोनों नेताओं को उसके सामने पेश करने का निर्देश दिया है.