Mega Daily News
Breaking News

States / इस छात्र ने बनाया सड़क हादसों को रोकने में मदद करने वाला चमत्कारी चश्मा

इस छात्र ने बनाया सड़क हादसों को रोकने में मदद करने वाला चमत्कारी चश्मा
Mega Daily News April 08, 2022 01:21 AM IST

देश ही नहीं पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मौत सड़क हादसे में होती है और लोग असमय काल की गाल में समा जाते हैं. लेकिन बोकारो के युवा वैज्ञानिक सायाम सैफ का बनाया हुआ एक चश्मा सड़क हादसे को रोकने का काम करेगा. क्योंकि ये चश्मा कोई साधारण चश्मा नहीं है, बल्कि इस चश्मे को अगर रात में पहन लिया जाए तो रात में हो रहे सड़क हादसों को रोका जा सकता है.

क्या है इस चश्मे की खासियत और कैसे करता है काम?

मात्र 2 हजार की लागत से बने इस विशेष प्रकार के चश्मे में इंफ्रारेड सेंसर, वाइब्रेशन मशीन, बजर, आरडीएनओ के साथ 9 वोल्ट की बैटरी इसे कनेक्ट करने का काम करती है. अक्सर यह देखा गया है कि रात को सड़क हादसे ज्यादा होते हैं और रात में होने वाले सड़क हादसों की बड़ी वजह ड्राइवर को झपकी आ जाना माना जाता है. बड़ी-बड़ी गाड़ियों को चलाने वाले ड्राइवर को जब नींद आ जाती है तो अपने साथ-साथ वह सामने वाले वाहन को भी अपनी चपेट में ले लेता है. इसी को रोकने के लिए इस चश्मे का निर्माण किया गया है. इस चश्मे को ड्राइवर के पहन लेने के बाद अगर ड्राइवर को झपकी आ जाए या फिर नींद आ जाए तो इस चश्मे में लगे सेंसर आंख की पुतली या रेटीना की सहायता से इंफ्रारेड के जरिए सेंसर को अलर्ट करता है. जहां चश्मे में लगा बजर बजने लगता है. साथ ही जो वाइब्रेशन मशीन है वह वाइब्रेट करने लगती है, जिससे ड्राइवर की नींद खुल जाती है और एक बड़ा हादसा टल जाता है. 

अटल टिंकरिंग प्रयोगशाला की मदद से सफल हुआ सायाम

इस चश्मे को बोकारो के मिथिला एकेडमी के 10वीं के छात्र सायाम सैफ ने बनाया है. सायाम ने ये कारनामा MGM स्कूल सेक्टर चार स्थित अटल टिंकरिंग प्रयोगशाला की मदद से कर पाने में सफलता पायी है. यह प्रयोगशाला पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से रखा गया है जो वैसे युवाओं को आगे बढ़ाने का काम करती है जो वैज्ञानिक बनना चाहता हैं. यह प्रयोगशाला केंद्र सरकार की नीति आयोग के द्वारा दिए गए वित्तीय सहायता की मदद से चलाया जा रहा है. बोकारो में एकमात्र प्रयोगशाला सेक्टर चार स्थित MGM स्कूल में ही है. जहां स्कूल के शिक्षक जीबिन थॉमस की मदद और देखरेख से बाल वैज्ञानिक तैयार हो रहे हैं. ये चश्मा अभी सिर्फ रात के लिए बनाया गया है. इसका उद्देश्य रात में होने वाले सड़क हादसे को रोकना है.

सड़क हादसे से मिली चश्मा बनाने की प्रेरणा

सायाम सैफ ने कहा कि उसे चश्मा बनाने की प्रेरणा तब मिली जब वह एक सड़क हादसे में रोते बिलखते परिवार को देखा और पता चला कि ड्राइवर को झपकी आने के चलते यह घटना घटी है. तभी से छात्र ने ठान लिया कि वह एक ऐसा उपकरण बनाएगा जो रात में होने वाले सड़क हादसों से बचाएगा और ड्राइवर को सोने या झपकी आने पर उसे नींद से जगाएगा और उसे अलर्ट करेगा.

छात्र की कामयाबी से खुश हैं सहयोगी शिक्षक

युवा वैज्ञानिक की इस पहल से और शोध से बने चश्मे को लेकर उसका साथ देनेवाले सहयोगी शिक्षक भी काफी खुश हैं. खास बात यह है कि मात्र 2 हजार रुपये में इस चश्मा का निर्माण हो जा रहा है जिसे आम लोग भी आसानी से खरीद सकते हैं. वहीं, अटल टिंकरिंग लैब जो नीति आयोग के सहयोग से चल रहा है के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा छात्रों को टेक्नोलॉजी के जरिए आगे बढ़ाने की सोच भी सार्थक हो रही है. यहां के शिक्षक का कहना है कि आज का दौर टेक्नोलॉजी का दौर है जहां केवल साधारण शिक्षा के बल पर छात्र आगे नहीं बढ़ सकते, बल्कि उन्हें टेक्नोलॉजी के जरिए भी आगे बढ़ना होगा। ऐसे लैब उन्हें टेक्नोलॉजी में भी आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं और केंद्र सरकार का प्रयास भी सार्थक हो रहा है.

RELATED NEWS