ऐसा बताया जाता है कि ताजमहल बनाने वाली कारीगरों की जेनरेशन के लोग आज भी आगरा में रहते हैं. इन्हीं में से एक हैं हाजी ताहिरुद्दीन, बताया जाता है कि इनका ताल्लुक ताजमहल के कारीगरों से है. अब ये पत्थर पर हाथ के काम की नक्काशी का काम करते हैं. 80 वर्षीय ताहिरुद्दीन ताजमहल के गाइड भी रहे हैं. उन्होंने इस ऐतिहासिक इमारत से जुड़े कुछ राज से पर्दा हटाया है.
इन दिनों चर्चा में रहने वाले ताजमहल के बीस कमरे कब्र के नीचे बने हैं. इसे ASI storage की तरह इस्तेमाल करता है. ये कमरे पहले जूते रखने के काम आते थे. लेकिन फिर भीड़ बढ़ने लगी, इसे बंद कर दिया गया. ASI बीच-बीच में खोल कर इसका सफाई करती है.
ये सच है. कुओं के पानी से संगमरमर ठंडा रहता है और उसे जोड़ने के लिए जो चूना इस्तेमाल किया गया वो मजबूत होता है. कुएं आपस में जुड़े हैं. पानी ओवर फ्लो नहीं होता. पास की यमुना से इसका कनेक्शन है.
यह सच नहीं है, उसको Hand cut agreement को लेकर कहा गया था. शाहजहां ने कहा कि अब आप लोग दूसरा ऐसा कुछ न बनाए. आपका पूरा ख्याल हम रखेंगे. South gate पर कुछ परिवारों को बसाया गया.
जर्नलिस्ट और आर्कियोलॉजी एक्सपर्ट डॉक्टर भानू प्रताप सिंह ने कहा-
कभी वो 22 कमरों को नहीं खोला गया. 1932 में कुछ अंग्रेजों ने वो कमरे देखे, ऐसा मैनें सुना है. ASI कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता. इसलिए उसे नहीं खोलता. ताजमहल पहले खोला गया था तब वहां कमरे और टायलेट बने थे.
वहां हिंदू चिह्न मिलते हैं. चारों ओर परिक्रमा पथ बना है जो केवल मंदिरों में होता है. ऐसा लगता है कि दीवारों से कमरों को बंद किया गया है. ASI वहां उत्खनन कर सकता है. ज्यामितीय सिमिट्री आपको हर जगह मिलेगी. लेकिन कब्रों के पास नहीं है. ताजमहल में राम, मोहन जैसे नाम खुदे हु़ए मिलते हैं. कोर्ट कमिश्नर की देख रेख में सर्वे होना चाहिए.