पढ़ाई से बचने के लिए 11वीं कक्षा के छात्र ने अपने ही अपहरण की फर्जी कहानी रच डाली। छात्र ने शिकायत की थी कि मंगलवार शाम को ट्यूशन से लौटते वक्त उसपर कार सवार तीन लोगों ने हमला किया था। साथ ही अपहरण की कोशिश की थी।
पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों को खंगाला तो मामला फर्जी निकला। छात्र के पिता नोएडा की एक निजी कंपनी में नौकरी करते हैं। इंदिरापुरम थाना क्षेत्र के नाबालिग छात्र मंगलवार रात को ट्यूशन से घर लौट रहा था। इस दौरान उसने अभय खंड चौकी पर शिकायत की।
उसने पुलिस को बताया कि शक्ति खंड से लौटते समय करीब साढ़े सात बजे कार सवार तीन लोग आए। तीनों ने उसकी जेब की तलाशी ली और उसे कार में डाल लिया। विरोध करने पर ब्लेड से हमला किया था। आरोपित उसे रास्ते में फेंक कर चले गए। होश आने के बाद वह आटो से घर पहुंचा। छात्र ने यह बात अपने स्वजन को बताई।
स्वजन और शिक्षकों की डांट से परेशान था छात्र
स्वजन छात्र के साथ पुलिस चौकी पहुंचे। इसके बाद पुलिस ने बताए गए घटनास्थल सीसीटीवी फुटेज खंगाले। फुटेज से पता चला कि मामला फर्जी है। इसके बाद पुलिस ने छात्र से सख्ती से पूछताछ की तो पता चला कि पढ़ाई बचने और ट्यूशन नहीं जाने के लिए उसने यह फर्जीवाड़ा किया। छात्र ने बताया कि वह स्वजन और शिक्षकों की डांट से परेशान आ गया था।
मसूरी में बच्चे ने की थी हत्या
22 अगस्त को मसूरी थाना क्षेत्र में दसवीं के छात्र ने अपने दोस्त छठी कक्षा के छात्र की सिर्फ इस वजह से गला दबाकर हत्या कर दी कि वह स्कूल नहीं जाना चाहता था। वह स्कूल जाने के बजाय जेल जाना चाहता था। उसने पुलिस को पूछताछ में बताया कि जेल में पढ़ाई नहीं होती है। लिहाजा उसने पढ़ाई से बचने और जेल जाने के लिए यह कदम उठाया। पुलिस ने छात्र को बाल सुधार गृह भेज दिया था।
डांटने के बजाय बच्चे की बात को सुने
वरिष्ठ मनो चिकित्सक डा. संजीव त्यागी ने बताया कि दो साल कोरोना में समय निकले हैं। बच्चों ने एक तरह से सपने में पढ़ाई की है। दो साल बाद में उन्हें ट्यूशन और स्कूल जाने का मौका मिला है। ऐसे में बच्चों को समझने में दिक्कत आती है।
स्वजन और शिक्षक उनकी समस्या समझने के बजाय डांटना शुरू कर देते हैं। डांटने पर बच्चे इस तरह के कदम उठा रहे हैं। बच्चों की समस्या को स्वजन को समझना और सुनना चाहिए।