आबकारी घोटाले में फंसे दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ CBI ने लंबी छापेमारी के बाद आखिर में FIR दर्ज कर ली है. इसमें सिसोदिया को आरोपी नंबर एक बनाया गया है और मामले में 15 लोगों को आरोपी बनाया है. बीते 17 अगस्त को इस मामले में केस दर्ज हुआ था और शुक्रवार को करीब 10 घंटे तक सिसोदिया के घर पर छापेमारी के बाद यह FIR दर्ज की गई है. दिल्ली में आबकारी नीति में गड़बड़ी के आरोपों के बाद खुद मनीष सिसोदिया ने भी सीबीआई से इस मामले की जांच कराने की मांग की थी. अब माना जा रहा है कि जल्द ED भी घोटाले की जांच शुरू कर सकती है.
सीबीआई ने पिछले साल नवंबर में लाई गई दिल्ली आबकारी नीति बनाने और उसे लागू करने में अनियमितताओं को लेकर एक FIR दर्ज की थी. दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आबकारी नीति 2021-22 के क्रियान्वयन में गड़बड़ी मिलने के बाद मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी. उन्होंने बताया कि दिल्ली के मुख्य सचिव की जुलाई में दी गई रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी, जिसमें जीएनसीटीडी अधिनियम 1991, टीओबीआर-1993 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम-2010 का उल्लंघन होने बात कही गई थी.
अधिकारियों ने बताया कि इसके अलावा टेंडर के बाद शराब कारोबार संबंधी लाइसेंस हासिल करने वालों को गलत तरीके से फायदा पहुंचाने के लिए जानबूझकर चूक की गई थी. इस बीच सिसोदिया ने भी मामले की सीबीआई जांच का का स्वागत किया था. इसे लेकर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर शुक्रवार को सीबीआई की छापेमारी की गई है और करीब 10 घंटे तक एजेंसी ने घर की तलाशी ली है.
अब ED भी दिल्ली सरकार की आबकारी नीति को तैयार करने और उसे लागू किए जाने के संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू कर सकती है. इस मामले में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और अन्य लोगों के खिलाफ सीबीआई छापे के बाद FIR दर्ज की है.
सूत्रों ने कहा कि अपनी जांच के दौरान ED इस बात का विश्लेषण करेगा कि क्या कोई शख्स और कंपनियां जो पॉलिसी तैयार करने में शामिल थीं, उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग की परिभाषा के तहत अपराध से हुई आय हासिल हुई है और कोई अवैध या बेनामी संपत्ति बनाई गई है. एजेंसी के पास ऐसी संपत्तियों को कुर्क करने और मनी लॉन्ड्रिंग अपराध में शामिल लोगों से पूछताछ करने, गिरफ्तार करने और मुकदमा चलाने का अधिकार है.