छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चाम्पा जिले के बोरवेल में फंसे 11 साल के राहुल साहू (Rahul Sahu) को आखिरकार 105 घंटे तक चले रेस्क्यू के बाद सकुशल बाहर निकाल लिया गया. ऑपरेशन 'राहुल- हम होंगे कामयाब' के साथ राहुल के बचाव के लिए लगभग 65 फीट नीचे गड्ढे में उतरी रेस्क्यू टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद राहुल को सुरक्षित बाहर निकाला. राहुल जैसे ही सुरंग से बाहर आया. उसने आंखे खोली और एक बार फिर दुनिया को देखा. यह क्षण सबके लिए खुशी का बड़ा पल था. इसके साथ ही पूरा इलाका राहुलमय हो गया.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने बोरवेल में फंसे राहुल साहू (Rahul Sahu) को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए जिला प्रशासन को विशेष निर्देश दिए थे. वे खुद इस अभियान की निगरानी कर रहे थे. देश के सबसे लंबे समय तक चले इस रेस्क्यू ऑपरेशन को डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला के नेतृत्व में अंजाम दिया गया. सुरंग बनाने के रास्ते में बार-बार मजबूत चट्टान आ जाने से यह ऑपरेशन 4 दिनों तक खिंच गया. आखिरकार रेस्क्यू टीम ने राहुल को बोरवेल से बाहर निकालकर उसे एक नई जिंदगी दी. इस रेस्क्यू के सफल होने से देशभर में एक खुशी का माहौल बन गया.
राहुल को बाहर निकाले जाने के बाद मौके पर मौजूद मेडिकल टीम ने उसके स्वास्थ्य की जांच की. साथ ही सीएम भूपेश बघेल के निर्देश पर ग्रीन कॉरिडोर बनाकर उसे बिलासपुर में बने अपोलो अस्पताल भेज दिया गया. बहरहाल राहुल साहू के सकुशल बाहर निकाल लिए जाने से सभी ने राहत की सांस ली है.
बताते चलें कि जांजगीर -चाम्पा जिले के पिहरीद गांव में 11 वर्षीय बालक राहुल साहू (Rahul Sahu) अपने घर के पास खुले हुए 80 फुट गहरे बोरवेल में गिरकर 65 फुट नीचे फंस गया था. 10 जून को दोपहर लगभग 2 बजे घटी इस घटना की खबर मिलते ही जिला प्रशासन की टीम कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला के नेतृत्व में मौके पर पहुंच गई और उसे बाहर निकालने का प्रयास शुरू किया. समय रहते बोरवेल में पाइप डालकर बच्चे तक ऑक्सीजन पहुंचाने की व्यवस्था की गई. इसके साथ ही नीचे कैमरा लटकाकर बच्चे की गतिविधियों पर नजर रखी गई.
परिजनों के जरिए बोरवेल में फंसे राहुल तक स्पीकर के जरिए मैसेज पहुंचाकर उसका मनोबल बढाया जा रहा था. उसे जूस, केला और दूसरी खाद्य सामग्रियां भी दी जा रही थी. उसे बोरवेल से बाहर निकालने के लिए सीएम के निर्देश पर ओडिशा के कटक और भिलाई से NDRF की टीमें बुलाई गईं. साथ ही सेना के कर्नल चिन्मय पारीक अपनी टीम के साथ भी इस मिशन में जुटे.
घटना के पहले दिन यानी 10 जून की रात में मैनुअल क्रेन की रस्सी नीचे डालकर राहुल साहू (Rahul Sahu) को बाहर निकालने की कोशिश की गई. लेकिन राहुल ने रस्सी को नहीं पकड़ा. जिसके बाद बोरवेल के पास खुदाई कर सुरंग के जरिए उसे बाहर निकालने का अभियान शुरू किया गया. रात लगभग 12 बजे से अलग-अलग मशीनों के जरिए खुदाई शुरू की गई. करीब 60 फीट की खुदाई करने के बाद पहले रास्ता तैयार किया गया. इसके बाद एनडीआरएफ और सेना के साथ जिला प्रशासन की टीम ने ड्रिल करके बोरवेल तक पहुंचने की सुरंग बनाई.
सुरंग बनाने के दौरान कई बार मजबूत चट्टान आने से इस अभियान में बाधा आई. इसके बाद बिलासपुर से अधिक क्षमता वाली ड्रिल मशीन मंगाकर चट्टान की कटाई की गई. फिर बहुत ऐहतियात बरतते हुए राहुल तक पहुंचने का रास्ता बनाया गया. मंगलवार रात आखिरकार सेना- एनडीआरएफ के जवानों ने राहुल को बोरवेल से बाहर निकाल ही लिया. अपने बेटे को जिंदा देख पिता लाला साहू और मां गीता साहू की आंखें भर आई. उन्होंने अपने बेटे को बचाने के लिए सीएम भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel), कलेक्टर और सेना-एनडीआरएफ का धन्यवाद दिया.